मुंबई December 31, 2010
मंदी की मार से उबरने के बाद निवेश के सभी विकल्पों ने अपने निवेशकों को मालामाल किया है। लेकिन चांदी में निवेश करने वालों के लिए साल 2010 बेहतरीन साल रहा है। बीते साल ने शेयर बाजार में निवेश करने वालों को तकरीबन 15 फीसदी, कमोडिटी में 25 फीसदी, प्रॉपर्टी में 30 फीसदी और सोने में 22 फीसदी का प्रतिफल मिला जबकि चांदी ने इस साल 65 फीसदी से ज्यादा का प्रतिफल दिया है। वैश्विक हालात को देखते हुए आने वाले साल में भी चांदी सबसे सयानी निकल जाए तो कोई हैरानी वाली बात नहीं होगी। बढ़ती महंगाई और ब्याज दर पर बढ़ते दबाव के साथ एक के बाद एक कई घोटालों का खुलासा होने से निवेशकों की चिंता बढ़ती जा रही है, जिसका बाजार की धारणा पर असर पड़ सकता है। निवेशकों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए माना जा रहा है कि यह साल प्रॉपर्टी बाजार के लिए सही नहीं रहने वाला है। इसका असर शेयर बाजार पर भी पडऩे की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। बढ़ती महंगाई और वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार निवेशकों को सुरक्षित निवेश की तरफ जाने के लिए मजबूर कर सकती है। यही वजह है कि बाजार के जानकार 2011 में सबसे सही निवेश विकल्प के रूप में सफेद धातु चांदी को प्राथमिकता दे रहे हैं। सोने और चांदी की बढ़ती कीमतों के बावजूद इन दोनों धातुओं पर निवेशक सालभर फिदा रहे। साल के अंत में नफा नुकसान के तराजू में तौलने के बाद पता चला कि फायदा देने के मामले में एक बार फिर से चांदी ने सोने को पटखनी दे दी। पिछले साल (2009) भी चांदी से 55.52 फीसदी का रिटर्न प्राप्त हुआ था जबकि सोने में 24.23 फीसदी का मुनाफा प्राप्त हुआ। आदित्य बिड़ला मनी के अमर सिंह कहते हैं कि औद्योगिक मांग की वजह से इस साल चांदी 65 फीसदी से भी ज्यादा प्रतिफल देकर पहले पायदान पर खड़ी है। सोने और धातुओं की ऊंची कीमतों ने भी निवेशकों को चांदी में निवेश करने के लिए मजबूर किया है। मुनाफे की चोटी पर खड़ी चांदी के बारे में ऐंजल ब्रोकिंग के नवीन माथुर का कहना है कि बढ़ती निवेश और औद्योगिक मांग ही चांदी की चमक में चार चांद लगा रही है। (BS Hindi)
01 जनवरी 2011
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