नई दिल्ली January 30, 2011
महंगाई केे मोर्चे पर परेशान सरकार और उपभोक्ताओं को चीनी की कीमतों से राहत मिलती दिख रही है। बाजार में चीनी की आपूर्ति बढऩे के कारण इसकी कीमतों में कमी आई है। कारोबारियों का कहना है कि चीनी मिलों की बिकवाली तेज होने के कारण बाजार में आपूर्ति का दबाव है, जिससे दाम घट रहे हैं। उनके मुताबिक आपूर्ति के दबाव के बीच इन दिनों त्योहार न होने के कारण मांग कमजोर है। इस कारण भी चीनी की कीमतों में गिरावट को बल मिला है। आने वाले दिनों में भी चीनी के दाम नरम रहने की संभावना है।पिछले 20 दिनों में मुख्य उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में चीनी का एक्स फैक्ट्री भाव 200 रुपये घटकर 2800-2875 रुपये प्रति क्विंटल रह गया है। इस दौरान दिल्ली के चीनी बाजार में इसके दाम घटकर 2930-3000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर आ चुके हैं। चीनी कारोबारी सुधीर भालोटिया ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा कि चीनी मिलों की बिकवाली तेज होने से बाजार में इसकी आपूर्ति ज्यादा हो रही है, जिससे इसकी कीमतों में गिरावट आ रही है। भालोटिया का कहना है कि ज्यादा आपूर्ति के बीच मांग कमजोर होने के कारण भी चीनी के दाम घटे हैं। मांग में कमी के संबध में उनका कहना है कि जनवरी माह के दौरान खास त्योहार न होने के कारण मांग कमजोर हुई है। इसके अलावा इस माह शादियां भी कम थी। ऐसे में बड़ी मात्रा में खुदरा कारोबारियों ने चीनी की खरीद नहीं की है। चीनी के दाम घटने की बात से श्रीबालाजी ट्रेडर्स के आर.पी. गर्ग भी इत्तेफाक रखते हैं। गर्ग बताते है कि सरकार ने जनवरी माह के लिए करीब 17 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था। चीनी की यह मात्रा बाजार में आ चुकी है। इस कारण बाजार में आपूर्ति का दबाव है। यही कारण है कि चीनी की कीमतों में गिरावट आ रही है। आगे चीनी की कीमतों के बारे में भालोटिया का कहना है कि अगले माह भी चीनी के दाम बढऩे की संभावना कम है, हालांकि 50 रुपये प्रति क्विंटल का उतार-चढ़ाव जरूर आ सकता है। चीनी वर्ष 2010-11 में चीनी का उत्पादन बढऩे की संभावना है। भारतीय चीनी उद्योग भी 240-250 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगा रहा है। पिछले सीजन में यह आंकड़ा करीब 188 लाख टन था। उत्पादन बढऩे की वजह गन्ने की बुआई अधिक होना है। (B S Hindi)
31 जनवरी 2011
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