मुंबई January 16, 2011
उत्तर भारत में पड़ रही कड़ाके की ठंड ने चने की कीमतों में गरमाहट ला दी है। फसल खराब होने और नई फसल में देरी की आशंका ने चने के भाव बढ़ा दिए हैं। शादी-विवाह का सीजन होने की वजह से बाजार में मांग काफी तेज है। दक्षिण भारत में असमय हुई बारिश के चलते अरहर की फसल को नुकसान पहुंचा है, जो चने की बढ़ती कीमतों को और मजबूती प्रदान कर रही है।पिछले एक सप्ताह के अंदर चना करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल महंगा हो चुका है। वायदा बाजार में चना (जून) तकरीबन 2,685 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है जबकि चार दिन पहले यह 2,500 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास था। हाजिर बाजार में भी चने की कीमतें तेजी से मजबूत हो रही हैं। बीकानेर में 2430 रुपये, दिल्ली में 2620 रुपये और मुंबई में 2680 रुपये प्रति क्ंिवटल के हिसाब से चना बिक रहा है। जबकि एक सप्ताह पहले इन मंडिय़ों में चने की कीमतें क्रमश: 2380 रुपये, 2490 रुपये और 2545 रुपये प्रति क्ंिवटल थी। कीमतें बढऩे की प्रमुख वजह चना उत्पादक प्रमुख राज्य मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पाला पडऩे से चने की फसल खराब होने की आ रही खबरों को माना जा रहा है। साथ ही इन इलाकों में शीत लहर चलने के कारण फसल तैयार होने में 20-30 दिन का अतिरिक्त समय लगने वाला है। ऐंजल ब्रोकिंग की वेदिका नार्वेकर कहती हैं - चालू सीजन में ठंड के कारण चने की फसल में देरी के चलते इस कमोडिटी में तेजी आ रही है। अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमतें घरेलू बाजार को गरम कर रही हैं। वेदिका का कहना है कि शादी-विवाह का सीजन होने की वजह से घरेलू मांग बहुत अच्छी है और नई फसल आने में समय लगने वाला है। जियोजित कॉमटे्रड की अंकिता पारिख कहती हैं कि पिछले महीने दक्षिण भारत में असमय हुई बारिश की वजह से इस इलाके की फसल प्रभावित हुई है, बरसात से कर्नाटक में अरहर की फसल को काफी नुकसान हुआ है। चने की कीमतों में आ रही तेजी की यह भी एक प्रमुख वजह है। 10 जनवरी तक के सरकारी आंकड़ों में इस बार चने का रकबा 90.83 लाख हेक्टेयर बताया गया है जबकि पिछले साल यह 83.32 लाख हेक्टेयर था। जानकार मानते हैं कि इस साल अच्छी बारिश होने के कारण खेतों में नमी बहुत अच्छी थी। इसके अलावा पिछले साल चना मुनाफे का सौदा साबित हुआ था, जिसे देखते हुए किसानों ने इस बार ज्यादा इलाके में चने की बुआई की थी। इस वजह से उत्पादन ज्यादा होने वाला है, लेकिन ठंड के कारण फसल आने में देरी हो रही है। चना उत्पादक दूसरे देशों में भी फसल खराब होने की आ रही खबरों ने स्टॉकिस्टों को सक्रिय कर दिया है। लेकिन फरवरी के दूसरे सप्ताह के बाद कीमतों में गिरावट आ सकती है। जबकि उत्पादन के वास्तविक आंकड़े आने के बाद ही बाजार में इसकी दिशा तय होगी। (BS Hindi)
17 जनवरी 2011
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