मुंबई 01 28, 2011
केंद्र सरकार फिलहाल खुले सामान्य लाइसेंस नियम (ओजीएल) के तहत मध्यम अवधि के लिए चीनी निर्यात की अनुमति देने पर कोई विचार नहीं कर रही है। खाद्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक इस तरह के किसी भी प्रस्ताव पर फिलहाल कोई विचार नहीं किया जा रहा है और न ही इस मसले को मंत्रियों के समूह के सामने पेश किए जाने का इरादा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, 'खाद्य मंत्रालय का मुख्य एजेंडा इस समय खाद्य सुरक्षा है। देश में चीनी उत्पादन के वास्तविक आंकड़े उपलब्ध होने के बाद ही चीनी निर्यात की समीक्षा की जाएगी और तभी निर्यात के संबंध में विचार किया जा सकता है।Ó उल्लेखनीय है कि इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में मंत्रियों के समूह ने अपने फैसले में देश में बढ़ती खाद्य मुद्रास्फीति के मद्देनजर चीनी निर्यात कोटे पर रोक लगा दी थी और अपने फैसले में कहा था कि बाद में चीनी निर्यात की अनुमति पर विचार किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि पहले ही इस मसले को खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय से मंत्रियों के समूह के पास भेज दिया गया था। चीनी निर्यात पर रोक लगा दिए जाने से निर्यातक पूर्व निर्धारित चीनी निर्यात कोटे का निर्यात नहीं कर सकेंगे, जिसके फरवरी माह से शुरू होने की संभावना थी। इस समय अंतरराष्टï्रीय बाजार में चीनी की ऊंची कीमतों के मद्देनजर चीनी मिलों और निर्यातकों को जबरदस्त कमाई की उम्मीद थी। इसके चलते वे सरकार से लगातार चीनी निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार ने निर्यात पर रोक लगाकर उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने इस साल देश में चीनी उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान लगाते हुए पहले खुले सामान्य लाइसेंस नियम के तहत 5 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दी थी। आधिकारिक सूत्रों ने कहा, 'घरेलू बाजार में चीनी जैसी आवश्यक वस्तुओं की मांग और आपूर्ति की स्थिति को देखते हुए खाद्य मंत्रालय आगे कोई फैसला लेगा। उत्पादन के वास्तविक आंकड़ों की समीक्षा के बाद आगे निर्यात के मसले पर विचार किया जाएगा।Ó अधिकारी ने कहा कि देश में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने के लिए अंतरराष्टï्रीय बाजारों में लाभ के बेहतरीन मौके हमें गंवाने पड़ेंगे। इस समय वैश्विक बाजारों में चीनी की जबरदस्त मांग है। इसके चलते वहां चीनी के दामों में तेजी बनी हुई है। भारतीय निर्यातक चाहते हैं कि चीनी निर्यात के लिए फरवरी सबसे अच्छा महीना साबित हो सकता है क्योंकि फरवरी के बाद वैश्विक बाजारों में ब्राजील से चीनी की आपूर्ति होने लगेगी। ऐसे में भारत फरवरी माह तक चीनी के ऊंचे दामों का फायदा उठा सकता है। हालांकि बाढ़ और अन्य वजह से ब्राजील और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में इस साल चीनी उत्पादन में कमी की आशंका प्रकट की गई है। इससे अंतरराष्टï्रीय बाजारों में चीनी की आपूर्ति को लेकर तंगी बनी रह सकती है। भारत में इस साल 2.45 से 2.50 करोड़ टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया गया है। यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 30 फीसदी ज्यादा है। पिछले चीनी वर्ष में देश में केवल 1.89 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि देश की इसकी सालाना खपत 2.30 करोड़ टन है। (BS Hindi)
29 जनवरी 2011
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