निर्यातकों के साथ ही औद्योगिक मांग बढऩे से पिछले डेढ़ महीने में अखाद्य तेलों की कीमतों में 10 से 20 फीसदी की तेजी आ चुकी है। पाम फैट्टी तेल की कीमतें दिसंबर के शुरू में 4,000 रुपये प्रति क्विंटल थी जो बढ़कर 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
राइसब्रान फैट्टी के दाम 3,500 रुपये से बढ़कर 4,100 रुपये, केस्टर तेल का भाव 8,500 रुपये से बढ़कर 9,600 रुपये, महुआ तेल का भाव 4,000 रुपये से बढ़कर 4,700 रुपये, नीम तेल का 3,800 से बढ़कर 4,200 रुपये और अलसी तेल का 4,100 रुपये बढ़कर 4,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। अखाद्य तेलों में लुब्रिकेंट, पेंट, साबुन और डिटर्जेंट निर्माताओं की मांग अच्छी बनी हुई है। बालाजी इंडस्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल बजाज ने बताया कि अखाद्य तेलों में औद्योगिक मांग के साथ निर्यात मांग अच्छी है।
साथ ही खाद्य तेल के दाम ऊंचे होने के कारण भी अखाद्य तेलों की कीमतें बढ़ी हैं। मध्य फरवरी तक दाम ऊंचे बने रहने की संभावना है। लेकिन मार्च के बाद रबी फसलों की आवक शुरू हो जाएगी जिससे अखाद्य तेलों के दाम घट सकते हैं। अखाद्य तेलों के थोक विक्रेता आलोक गुप्ता ने बताया कि पाम फैट्टी तेल की कीमतें पहली दिसंबर को मुंबई में 4,000 रुपये प्रति क्विंटल थी जो शनिवार को बढ़कर 4,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गई।
इसी तरह से राइसब्रान फैट्टी के दाम एक्स फैक्ट्री पंजाब में 3,500 रुपये प्रति क्विंटल थे, जो बढ़कर 4,100 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। पहली दिसंबर को केस्टर तेल का भाव 8,500 रुपये प्रति क्विंटल था जोकि बढ़कर 9,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। नीम तेल में साबुन निर्माताओं की अच्छी मांग है इसीलिए इसका भाव 3,800 से बढ़कर 4,200 रुपये प्रति क्विंटल हो गया।
अलसी तेल में पेंट निर्माताओं की मांग बढऩे से भाव 4,000 रुपये बढ़कर 4,600 रुपये प्रति क्विंटल हो गए। साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी. वी. मेहता ने बताया कि कच्चे माल के दाम बढऩे से अखाद्य तेलों की कीमतें बढ़ रही हैं।
विदेशी में दाम बढऩे से अखाद्य तेलों का आयात भी कम हो रहा है। दिसंबर महीने में अखाद्य तेलों का आयात घटकर 22,494 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल दिसंबर में 25,588 टन का आयात हुआ था। नवंबर-दिसंबर में अखाद्य तेलों के आयात में 41 फीसदी की कमी आकर कुल आयात 39,149 टन का ही हुआ है।
जयंत एग्रो ऑर्गनिक लिमिटेड के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर वामन भाई ने बताया कि चीन के आयातकों की मांग से केस्टर तेल की कीमतों में तेजी बनी हुई है। वर्ष 2010 में केस्टर तेल का निर्यात करीब चार लाख टन का हुआ है। चालू वर्ष में निर्यात और बढऩे की संभावना है। चीन के आयातक इस समय 2050-2,100 डॉलर प्रति टन की दर से सौदे कर रहे हैं जबकि दिसंबर के शुरू में इसका भाव 1850-1900 डॉलर प्रति टन था।
सेंट्रल ऑर्गनाइजेशन ऑफ आयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (कोएट) के अनुसार वर्ष 2010-11 में केस्टर तेल की उपलब्धता 4.4 लाख टन से बढ़कर 5.31 लाख टन और राइसब्रान तेल की 8 लाख टन से बढ़कर 8.30 लाख टन होने का अनुमान है।rana@businessbhaskar.net (Business Bhaskar....R S Rana)
17 जनवरी 2011
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