नई दिल्ली January 27, 2011
आलू की कीमतों में गिरावट ने किसानों की मुश्किल बढ़ा दी है। नई फसल के दबाव आलू की कीमतों में लगातार गिरावट आ रही है। हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि वर्तमान भाव पर आलू किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। किसान और कारोबारियों का दाम कम मिलने के बारे में कहना है कि इस बार करीब-करीब सभी आलू उत्पादक इलाकों में इसकी फसल अच्छी है। जिससे इसकी आवक मंडियों में बढ़ रही है। कांफेडेरेशन ऑफ पोटेटो सीड फारमर्स (पॉस्कोन) पंजाब के महासचिव जंगबहादुर सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि राज्य में आलू के दाम नई फसल के दबाव में गिरकर 250-280 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इस भाव पर किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है। उनका कहना है कि 350-400 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर ही किसानों को फायदा होगा। इससे नीचे वे नुकसान में रहेंगे। पश्चिम बंगाल आलू-बीज व्यवसायी समिति के सदस्य अरुण कुमार घोष का भी कहना है कि इन दिनों के आलू किसानों का बुरा समय चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य में आलू के दाम 360-370 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं, जबकि किसानों की लागत 400 रुपये प्रति क्विंटल है। इस तरह आलू किसान घाटे में हैं। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के आलू किसान बटुकनारायण मिश्रा कहते है कि हमने 1,600 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर बीज खरीदकर आलू की बुआई की थी, जिससे लागत काफी बढ़ी है। बकौल मिश्रा आलू के दाम घटने से अब किसानों को नुकसान होने लगा हैं। राष्टï्रीय बागवानी अनुसंधान एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) निदेशक आर.पी. गुप्ता भी मानते है कि किसानों को कम से कम 400-450 रुपये प्रति क्विंटल आलू के दाम मिलने चाहिए, तभी उनको आलू की खेती में फायदा होगा। नई फसल की आवक बढऩे के कारण आलू की कीमतों में नरमी आई है। दिल्ली में महीने भर में आलू के थोक भाव 360-500 रुपये से घटकर 280-420 रुपये, पश्चिम बंबाल में 500 रुपये से 370 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। कीमतों में गिरावट के संबंध में पोटेटो ऑनियन मर्चेंट ट्रेडर्स एसोसिएशन (पोमा) आजादपुर दिल्ली के अध्यक्ष त्रिलोकचंद शर्मा का कहना है इस बार सभी आलू उत्पादक राज्यों में इसकी फसल बेहतर है। इसलिए एक राज्य दूसरे राज्य को आलू की सप्लाई नहीं पा रही है, जिससे मंडियों में आलू की आवक का दबाव है। उनका कहना है कि मंडी में आलू की आवक बढ़कर 150 ट्रक हो गई है। इस कारण आलू की कीमतों में नरमी का रुख है। आगे कीमतों के बारे में उनका कहना है कि 15 फरवरी के बाद कोल्ड स्टोर में आलू जाने पर ही कीमतों में सुधार हो सकता है। कोल्ड स्टोर में आलू जाने पर भाव चढऩे की बात से घोष भी इत्तेफाक रखते हैं। उत्पादन के संबंध में गुप्ता का कहना है कि इस बार उत्तर प्रदेश में करीब 139 लाख टन, पश्चिम बंगाल में 88 लाख, पंजाब में 21 लाख और बिहार में 56 लाख टन आलू पैदा होने का अनुमान है। इस बार कुल उत्पादन 400 लाख टन से अधिक होने की संभावना है। (BS Hindi)
28 जनवरी 2011
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