पुणे January 16, 2011
बढ़ती कीमतों की वजह से चीनी उद्योग का प्रमुख सुधार टाल गया है। विनियंत्रण के लिए बची एकमात्र जिंस चीनी सरकारी एजेंडे में नहीं है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने बिजनेस स्टैंडर्ड से स्पष्ट रूप से कहा है कि 250 लाख टन चीनी के उत्पादन के अनुमान को देखते हुए चीनी उद्योग का विनियंत्रण फिलहाल केंद्र सरकार के एजेंडे में नहीं है।चीनी उद्योग की यह प्रमुख मांग है और पवार ने कहा कि उन्हें इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन की तरफ से उद्योग को विनियंत्रित करने का अनुरोध प्राप्त हुआ है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट संकेत दिया कि चीनी निर्यात को टाला नहीं गया है। पवार ने कहा - केंद्र पहले ही विभिन्न मिलों को चीनी निर्यात का आदेश जारी कर चुका है। मिलों से 31 जनवरी तक सभी आवश्यक शर्तों को पूरा करने को कहा गया है। इसके साथ ही अधिकार प्राप्त मंत्री समूह चीनी का मौजूदा उत्पादन व कीमतों की समीक्षा कर रहा है।कई और कदमों का संकेत देते हुए पवार ने कहा कि केंद्र आवश्यक नीति व वित्तीय फैसले ले रहा है ताकि स्थिति का सामना किया जा सके और उपभोक्ताओं को जरूरी राहत दी जा सके। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से बताने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि ऐसे महत्वपूर्ण फैसले के बारे में मीडिया को नहीं बताया जा सकता।इस बीच, पुणे जिले में पॉलिटेक्निक कॉलेज के उद्घाटन के बाद पवार ने कहा कि मध्य प्रदेश, राजस्थान और सौराष्ट्र से प्याज की आवक शुरू होने से इसकी उपलब्धता में सुधार आएगा और कीमतों में भी गिरावट आएगी। उन्होंने कहा कि प्याज का मौजूदा संकट मौसमी चक्र की वजह से है और जल्दी ही स्थिति में सुधार आएगा। पवार ने गेहूं, चावल, चीनी, तिलहन व दलहन के उत्पादन की बाबत केंद्र की नीति का बचाव किया। उन्होंने कहा कि इन नीतियों के सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं क्योंकि पिछले दो सालोंं से उच्च उत्पादन की वजह से केंद्र राज्यों में अनाज भेजता रहा है। उन्होंने कहा कि दूसरे देशों के मुकाबले भारत में गेहूं, चावल और चीनी की कीमत कम है। पवार ने कहा कि विभिन्न राज्यों की कृषि उत्पाद विपणन कमेटी को अलग कानून बनाकर सब्जियों की कीमतों पर फैसला लेते हैं। उन्होंने कहा - हम यह फैसला नहीं लेते कि बाजार का व्यवहार कैसा हो। (BS Hindi)
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