कोच्चि January 18, 2011
प्राकृतिक रबर के आयात पर राहत देने के सरकारी ऐलान का स्वागत करते हुए टायर उद्योग ने बाजार की बदली हुई परिस्थितियों में आयात शुल्क में पूरी छूट देने की मांग की है। ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एटमा) के मुताबिक, सरकारी फैसला ऐसे वक्त में आया जब प्राकृतिक रबर की कीमतें 225रुपये की ऊंचाई पर है, ऐसे में सीमा शुल्क को 7.5 फीसदी किए जाने के बाद भी आयात करना मितव्ययी नहीं है। वैश्विक बाजार में प्राकृतिक रबर की मौजूदा कीमत घरेलू बाजार के मुकाबले ज्यादा है, ऐसे में 7.5 फीसदी के आयात शुल्क पर रबर का आयात उपयुक्त नजर नहीं आता।वाणिज्य सचिव राहुल खुल्लर को भेजे संदेश में एटमा के चेयरमैन नीरज कंवर ने कहा है कि ऊंची कीमतों के बावजूद प्राकृतिक रबर की आपूर्ति में अनिश्चितता जारी है और टायर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए टायर उद्योग को रबर की आपूर्ति सुनिश्चित करने में खासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एटमा ने प्राकृतिक रबर पर हाल के सरकारी फैसले पर फिर से विचार करने का अनुरोध किया है और अगले एक साल में 2 लाख टन प्राकृतिक रबर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने की मांग की है। इसके अलावा एटमा ने सरकार से घरेलू बाजार में रबर की उपलब्धता व खपत के बीच के अंतर के बराबर शुल्क मुक्त आयात की अनुमति वक्त-वक्त पर देने की मांग की है।एटमा के मुताबिक, चूंकि रियायती दर पर प्राकृतिक रबर के आयात का फैसला दिसंबर में लिया गया था, ऐसे में आयात की पूरी प्रक्रिया को 31 मार्च तक पूरा करना व्यावहारिक नहीं है। ऐसे में एटमा ने सरकार से कहा है कि वह अगले वित्त वर्ष के लिए आयात की मात्रा का ऐलान पहले कर दे, ताकि प्राकृतिक रबर के उपभोक्ता समय से इसके आयात की योजना बना सकें।एटमा के अनुमान के मुताबिक, अगले वित्त वर्ष के दौरान देश में रबर का उत्पादन और मांग में करीब 2 लाख टन का अंतर रहेगा। मौजूदा वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर की अवधि में 1,56,608 टन रबर का आयात किया गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1,45,459 टन रबर का आयात हुआ था। (BS Hindi)
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