January 07, 2011
अगर आपसे कोई यह पूछे कि नए साल में किस धातु की चमक सबसे ज्यादा रहने वाली है तो आप बिना हिचकिचाए तांबे का नाम ले सकते हैं। क्रिसमस के मौके पर छुट्टी के समय या इससे कुछ पहले बाजार में बहुत ज्यादा गतिविधियां नहीं रहती हैं क्योंकि ज्यादातर ट्रेडर्स सौदा बेचकर मुनाफावसूली करने में लगे रहते हैं। इसके बावजूद तांबे की कीमतें छुट्टी के पहले ही करीब तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच गई थी। इसके पक्ष में कई बुनियादी चीजें हैं जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है तांबा नए साल में तेजी से आगे बढ़ेगा और यह जल्द ही 1,100 डॉलर प्रति टन के स्तर पर पहुंचेगा। यदि वैश्विक स्तर पर इसकी आपूर्ति का स्तर सामान्य रहा और मांग में अपेक्षाकृत वृद्घि थोड़ी धीमी रही तो इसकी तेजी पर थोड़ा ब्रेक लग सकता है। लेकिन तमाम आंकड़े और अनुमान इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि तांबे की मांग में इजाफा होने के साथ ही इसकी आपूर्ति को लेकर संकट बरकरार रह सकता है। चिली स्थित विश्व की तीसरी सबसे बड़ी तांबे की खदान कोलाहुसई से तांबे की आपूर्ति पर अनिश्चित समय तक के लिए रोक लगा दी गई है। इससे वैश्विक स्तर पर तांबे की आपूर्ति का संकट उत्पन्न हो गया है। कोलाहुसई के पास वर्ष 2009 में तांबे की कुल खदान का करीब 3.3 फीसदी हिस्सा था। पिछले दिनों एक दुर्घटना की वजह से यहां काम करने वाले तीन मजदूरों की जान चली गई थी और पोर्ट टर्मिनल भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। इसकी वजह से खदान से फिलहाल तांबे की अपूर्ति पर रोक लगानी पड़ी है। हालांकि कोलाहुसई से तांबे की आपूर्ति ठप ज्यादा दिन तक नहीं रहने वाली है और कुछ दिन के बाद यहां से आपूर्ति सामान्य हो सकती है। लेकिन कोलाहुसई में हुई इस दुर्घटना के पहले भी ज्यादातर शोधकर्ताओं, बैंकों और बाजार जानकारों ने यह अनुमान लगाया था कि आने वाले समय में तांबे की आपूर्ति में बाधा पहुंच सकती है। कारोबारियों का तो यह भी कहना था कि आपूर्ति में तंगी होने से इसका प्रभाव अन्य मूल धातुओं पर पड़ सकता है। शोधकर्ताओं की भविष्यवाणी के मुताबिक वर्ष 2011 में मांग की तुलना में तांबे की आपूर्ति में कमी 3,80,000 टन के स्तर से बढ़कर 5,00,000 टन के स्तर पर पहुंच सकती है। स्टैंडर्ड बैंक का अनुमान है कि 2012 में मांग और पूर्ति के बीच अंतर 5,62,000 टन रह सकता है। तांबा उद्योग की अंतरराष्टï्रीय स्तर की संस्था इंटरनैशनल कॉपर स्टडी ग्रुप का अनुमान है कि इस साल मांग की तुलना में 4,35,000 टन तांबे की कमी रह सकती है। तांबे की आपूर्ति दिन प्रति दिन घटने की पीछे कई प्रमुख कारण रहे हैं। सबसे बड़ा कारण तो यह है कि हाल के कुछ वर्षों में तांबा उद्योग में कोई बड़ा निवेश नहीं हुआ है। तांबे की नई खदानों की खोज और शोध आदि पर पिछले लंबे समय से कोई काम नहीं हुआ है। इसके अलावा इस समय तांबे की जो खदानें हैं उससे भी आपूर्ति में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हुई है जबकि इसकी मांग लगातार बढ़ रही है। उभरती अर्थव्यवस्था वाले देशों में से 2011 में तांबे की खपत भारत में सबसे तेजी से बढऩे की उम्मीद है। वर्ष 2009-10 देश में 13 फीसदी की दर से तांबे की खपत बढ़ी थी। अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार और इन्फ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र के विस्तार पर जोर से लगाता है कि आने वाले सालों में तांबे की खपत और तेजी से बढ़ेगी। हालांकि घरेलू तांबा उद्योग लगातार मुश्किलों से जूझ रहा है और इन्हें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस वजह से घरेलू स्तर पर तांबे की आपूर्ति में कोई खास बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। हिंदुस्तान कॉपर के चेयरमैन शकील अहमद इसे एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। उनका कहना है कि एचसीएल को 28 करोड़ टन का लीस अधिकार मिला हुआ है जबकि देश में 37 करोड़ टन तांबे का भंडार है। उन्होंने एचसीएल से सिफारिश की है कि तांबे का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में वे कदम उठाए। एचसीएल ने वर्ष 2015-16 तक 1.25 करोड़ टन तांबा उत्पादन का लक्ष्य रखा है जबकि पिछले साल इसका कुल उत्पादन केवल 32 लाख टन रहा था। हालांकि एचसीएल के लिए इस लक्ष्य को प्राप्त कर पाना बहुत मुश्किल नहीं है। वैश्विक स्तर पर तांबे की कम आपूर्ति की वजह से ही इसके दाम लगातार बढ़ रहे हैं। बताया जाता है कि जिस तरह सभी क्षेत्रों की ओर से इसकी मांग में बढ़ोतरी हो रही है उससे लगता है कि आने वाले समय में इसकी किल्लत और ज्याद बढ़ेगी। ऐसे में भारत जैसे देशों को जरूरत के हिसाब से तांबे का उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा। चीन के बाद अमेरिका तांबे का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है। फेड रिजर्व के पूर्व चेयरमैन अलेन ग्रीनस्पेन के मुताबिक 2011 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था भी 3 से 3.5 फीसदी की दर से बढऩे की उम्मीद है। ऐसे में यहां भी तांबे की मांग में इजाफा होने की संभावना है। नवंबर माह के आंकड़ों पर गौर करें तो इसमें कहा गया है कि अमेरिका में उपभोक्ता और बिजनेस खर्च में तेजी आई है और यह पिछले माह की मजबूती पर है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि 2011 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की भी रफ्तार तेज होने जा रही है। दूसरी तरफ चीन में तो तांबे की मांग पहले से ही सबसे ज्यादा है। (BS Hindi)
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