मुंबई January 27, 2011
प्याज के आंसू अभी ठीक से रुके भी नहीं हैं कि दाल की कीमतें लोगों को बेहाल करने लगी हैं। दो सप्ताह के अंदर अरहर (तुअर) दाल 30 फीसदी से भी ज्यादा महंगी हो गई। लगभग सभी दालों की तेजी से बढ़ रही कीमत की प्रमुख वजह अटकलों का बाजार गर्म होना है। बढ़ा चढ़ा कर फसल खराब होने की अफवाह फैला कर सटोरिये बाजार पर हावी होते जा रहे हैं और लोगों की थाली में दाल पतली होती जा रही है।मौसम की बेवफाई और सटोरियों की कारगुजरी के चलते थाली में दाल पतली होने लगी है। कारोबारियों का मानना है कि यही हाल रहा तो जल्द ही तुअर दाल के दाम सैकड़े को लांघ सकते हैंं। दो सप्ताह पहले थोक बाजार में तुअर 3,000 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही थी जबकि इस समय 4,800 रुपये प्रति क्ंिवटल बिक रही है। तुअर की बढ़ी कीमतें दाल पर भी दिखाई दे रही हैं। 15-20 दिन पहले तुअर दाल 60-65 रुपये प्रति किलोग्राम के हिसाब से मिल रही थी जो इस समय 85-90 रुपये किलोग्राम तक पहुंच चुकी है। कारोबारियों का कहना है कि मौजूदा हालात को देखते हुए लग रहा है कि तुअर दाल की कीमतें बेलगाम होने वाली हैं। क्योंकि कुछ भी स्पष्ट जानकारी नहीं है चारों तरफ अटकलों का बाजार गर्म हो रहा है जिससे कीमतों को और भी हवा लग रही है।कमोडिटी विशेषज्ञ मेहुल अग्रवाल कहते हैं कि प्रमुख दाल उत्पादक क्षेत्रों से ऐसी खबरें आ रही हैं कि तुअर की फसल खराब हुई है। लोग 20 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक फसल खराब होने की बात कर रहे हैं। बाजार में इस तरह की अफवाहें कीमतों को बढ़ा रही हैं। क्योंकि सटोरिये पूरी तरह से सक्रिय हो गए हैं। जमाखोरी बढ़ी है, कारोबारी और किसान भी इस समय अपना माल बेचना नहीं चाह रहे हैं जिससे आपूर्ति कम हो रही है जबकि मांग तेज हैं। ऐसे में कीमतों का बढऩा तो लाजिमी है। अग्रवाल कहते हैं कि सबसे पहले सरकार को स्थिति की स्पष्ट जानकारी देनी चाहिए जिससे अटकलों का बाजार खत्म हो और कारोबारी एवं किसान अपना माल बेचने के लिए तैयार हों। जब तक अफवाहों पर काबू नहीं किया जाएगा तब तक कीमतें तेजी से ऊपर की तरफ भागती रहेंगी।तुअर सहित दूसरे दलहनों की कीमतें बढऩे की वजह बताते हुए जियोजित कॉमटे्रड की अंकिता पारिख कहती हैं कि अधिक ठंड और कुछ जगहों पर बारिश के कारण महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और कर्नाटक में 20-30 फीसदी फसल खराब होने की खबर है। इसकी वजह से किसान और स्टॉकिस्ट ने तुअर का स्टॉक रोककर रख लिया है जिससे बाजार में तुअर दाल की कमी हो रही है और कीमतें ऊपर की तरफ भाग रही हैं। उनके अनुसार फिलहाल नई फसल आने तक कीमतें ऊपर की तरफ जाती रहेगी ऐसे में तुअर दाल की कीमत के अब तक के सारे रिकॉर्ड टूट जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।तुअर दाल की कीमतें बढ़ाने में सरकार का भी हाथ है। किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार ने इस बार तुअर का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3,000 रुपये प्रति क्ंिवटल घोषित किया था। इसके बाद 500 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने का ऐलान किया। केन्द्र सरकार के अलावा कर्नाटक सरकार ने अतिरिक्त 500 रुपये प्रति क्ंिवटल बोनस देने का ऐलान करके कीमतों को और हवा दी है। इस तरह देखा जाए तो तुअर का सरकरी दाम 4,000 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच चुका है जबकि पिछले साल यह कीमत 2,300 रुपये प्रति क्विंटल थी। सरकार को उम्मीद थी कि सरकार कीमत बढ़ाने से किसानों को फायदा होने के साथ ही जमाखोरी भी रुकेगी। फायदा देखकर किसान उत्पादन ज्यादा करेंगे जिससे बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस बार किसानों ने 25 फीसदी ज्यादा रकबे पर तुअर की बुआई की थी जो सरकारी नीति की वजह से ही हुआ है। सरकार को अनुमान था कि इस बार तुअर का उत्पादन 35 लाख टन से भी ज्यादा हो सकता है जबकि पिछले साल तुअर की पैदावार महज 25 लाख टन थी। (BS HIndi)
28 जनवरी 2011
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