05 जनवरी 2010
औद्योगिक मांग सुधरने से अल्यूमीनियम के दाम बढ़े
अल्यूमीनियम की औद्योगिक मांग सुधरने की वजह से इसके मूल्यों में तेजी बनी हुई है। पिछले एक साल के दौरान इसके दाम करीब 40 फीसदी बढ़ चुके हैं। जबकि पिछले एक माह में इसके मूल्यों में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। मांग बढ़ने की वजह चीन, भारत सहित कई देशों में आर्थिक हालात सुधरना है। जानकारों के मुताबिक आगे भी मूल्यों में तेजी के आसार हैं। अल्यूमीनियम कारोबारी राजेंद्र गुप्ता ने बिजनेस भास्कर को बताया कि घरेलू बाजार में पिछले एक माह के दौरान इसके दाम 94 रुपये से बढ़कर 104 रुपये प्रति किलो हो गए। उनके मुताबिक इसकी मांग बढ़ने के कारण लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) में अल्यूमीनियम तेज होने से इसकी कीमतों में इजाफा हुआ है। दरअसल भारत में मेटल के दाम एलएमई के भाव पर निर्भर करते हैं। इस दौरान एलएमई में इसके दाम 2,008 डॉलर से बढ़कर 2,210 डॉलर पर आ गए हैं। मेटल विश्लेषक अभिषेक शर्मा का कहना है कि पिछले साल चीन, भारत और अमेरिका में निर्माण और पैकेजिंग सेक्टर में विकास से अल्यूमीनियम की मांग बढ़ी है। इस वजह से इसके मूल्यों में वृद्धि हुई है। वही चालू वर्ष में इसकी मांग बढ़ने की संभावना है। जानकारों के मुताबिक 2010 के दौरान में चीन इसकी खपत 15 फीसदी बढ़कर 159 लाख टन तक पहुंच सकती है। वहीं फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्री के अनुसार वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान 12 लाख टन अल्यूमीनियम की खपत होने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 11.5 लाख टन था। शर्मा का कहना है कि आगे मांग और बढ़ने की संभावना के चलते इसके मूल्यों में तेजी की संभावना है। भारतीय खनन मंत्रालय के अनुसार देश में मांग बढ़ने की वजह से प्राइमरी अल्यूमीनियम उत्पादकों के स्टॉक में गिरावट आई है। सितंबर में अल्यूमीनियम को स्टॉक 44,787 टन से घटकर 35,907 टन पर आ गया है। जबकि चालू वित्त वर्ष के अक्टूबर माह तक 8.59 लाख टन अल्यूमीनिय का उत्पादन हुआ, पिछली समान अवधि में यह 7.39 लाख टन था। उल्लेखनीय है कि अल्यूमीनियम की खपत ट्रांसपोर्ट में 26 फीसदी, पैकेजिंग में 22 फीसदी, कंस्ट्रक्शन में 22 फीसदी इलैक्ट्रिकल में 8 फीसदी, मशीनरी में 8 और अन्य क्षेत्रों में 14 फीसदी होती है। वहीं इसका सबसे अधिक उत्पादन एशिया में 43 फीसदी होता है इसके बाद 24 फीसदी यूरोप में, 22 फीसदी अमेरिका में और पांच फीसदी अफ्रीका में किया जाता है।चिली की खदानों में हड़ताल से कॉपर उच्च स्तर परलंदन। चिली स्थित खदानों में श्रमिकों की हड़ताल होने के कारण लंदन मेटल एक्सचेंज में सोमवार को कॉपर के दाम करीब दो फीसदी चढ़ गए। इससे तीन माह डिलीवरी कॉपर 7504 डॉलर प्रति टन के उच्च स्तर पर पहुंच गया। कॉपर ने यह स्तर 16 माह के बाद छुआ है। लेकिन विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि इस मेटल में भारी उतार-चढ़ा रह सकता है और आने वाले सप्ताहों में तेज गिरावट की संभावना है। स्टॉक बढ़ने और फंडामेंटल कमजोर रहने से इस तेजी के लिए मजबूत आधार नहीं है। पिछले गुरुवार को कॉपर का दाम 7375 डॉलर प्रति टन रहा था। कॉपर का ज्यादातर उपयोग पावर और कंस्ट्रक्शन सेक्टर में होता है। एक सितंबर 2008 को कॉपर का मूल्य 7509 डॉलर प्रति टन था। (बिसनेस भास्कर)
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