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05 जनवरी 2010

टैक्स विवाद पर पंजाब में जिनिंग मिलों की हड़ताल

टैक्सटाइल सेक्टर की बड़ी कंपनियों को मंडी शुल्क और अन्य टैक्सों में छूट दिए जाने के विरोध में पंजाब की कॉटन जिनिंग मिलों ने एक जनवरी से अनिश्चितकालीन हड़ताल कर दी है। जिनिंग मिलों का कहना है कि टैक्सटाइल मिलों को सीधे कपास खरीद पर छूट दिए जाने से उनके व्यवसाय पर बुरा असर पड़ेगा। जिनिंग मिलों की हड़ताल से यार्न बनाने वाली स्पिनिंग मिलांे के सामने कच्चा माल (कॉटन लिंट) की कमी पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है। सोमवार को जिनिंग मिलों के संचालकों ने अपनी मांगों को लेकर बठिंडा मंे उपायुक्त को ज्ञापन दिया। 6 जनवरी को जिनिंग मिल संचालकों को मंडी बोर्ड के सचिव ने बातचीत के लिए बुलाया है। जिनिंग मिलों के संचालकों का कहना है कि सरकार जब तक उन्हें भी टैक्स में छूट नहीं देगी, उनकी हड़ताल जारी रहेगी। ज्यादातर बठिंडा और आसपास के इलाकों में स्थित करीब 300 जिनिंग मिलें रोजाना करीब 20 हजार गांठ कॉटन का उत्पादन करती हैं।पंजाब के जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भगवान बंसल के मुताबिक पंजाब सरकार ने टैक्सटाइल के सात मेगा प्रोजेक्टों को 6 फीसदी टैक्स की छूट देने का फैसला किया है। इसमें 2 फीसदी मार्केट फीस, 2 फीसदी रूरल डेवलपमेंट फंड एवं 2 फीसदी पंजाब इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड शुल्क शामिल है। पंजाब के जिनर्स भी पिछले लंबे समय से सरकार से इन टैक्सों में छूट की मांग कर रहे हैं।लुधियाना स्पिनिंग एंड टेक्सटाइल मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एम। एम. व्यास के मुताबिक जिनर्स की हड़ताल का यार्न बनाने वाली स्पिनिंग मिलों और टैक्सटाइल मिलों पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। हालांकि शुरूआती दौर में मिलें अपने स्टॉक से उत्पादन जारी रख सकती हैं लेकिन हड़ताल लंबी खिंचने की सूरत मंे मिलों का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। टैक्सटाइल मिलों की दिक्कत यह है कि पहले ही धागों की कीमतें लगातार बढ़ती जा रही हैं। कच्चे माल की कमी आने से टैक्सटाइल उद्यमियों को बड़ा झटका लग सकता है। टैक्सटाइल बाजार के सूत्रों के मुताबिक पंजाब में पैदा होने वाली कपास राज्य के टैक्सटाइल सेक्टर में खप जाती है। इसके अलावा 20 फीसदी कपास दूसरे राज्यों से भी मंगाई जाती है। नॉर्दर्न इंडिया कॉटन डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अशोक कपूर के मुताबिक जिनर्स की मांगें जायज हैं। कॉटन डीलर भी उनके साथ हैं। कपूर के मुताबिक जब तक जिनर्स की हड़ताल जारी रहेगी, तब तक आगे मिलों के आर्डर पर सप्लाई नहीं होगी। बड़ी संख्या में डीलरों के पास मिलों के आर्डर हैं जिन्हें फिलहाल टालना पड़ेगा। (बिज़नस भास्कर)

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