सोयाबीन की कीमतें उच्चस्तर पर बनी हुई हैं। स्पेशल कैश मार्जिन में कटौती
और मॉनसून में देरी सोयाबीन की कीमतों को मजबूती प्रदान कर सकती हैं। लेकिन
वैश्विक एवं घरेलू मांग में गिरावट और रकबे में बढ़ोतरी की खबरें कीमतों
में गिरावट की वजह भी बन सकती हैं। वायदा बाजार की चाल और हाजिर बाजार में
सुस्ती के कारण फिलहाल सोयाबीन सबसे ज्यादा जोखिम वाली कृषि जिंस के रूप
में देखी जा रही है।
सोयाबीन की कीमतों में आने वाले समय में और मजबूती आने वाली है या फिर अब कीमतें चरम पर पहुंच गई है? इस पर बाजार के जानकारों की राय अलग-अलग है। कुछ लोगों का मानना है कि फिलहाल सोयाबीन जोखिम के दायरे में पहुंच चुका है। इसलिए निवेशकों को सोच समझकर निवेश की सलाह दी जा रही है। ऐंजल कमोडिटी की नलिनी राव कहती हैं - 'स्पेशल मार्जिन में कटौती और मॉनसून में हो रही देरी से कीमतों को और मजबूती मिलेगी। फिलहाल बाजार में मांग के हिसाब से आवक कम है और बुआई सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में फसल तैयार होने में तीन महीने का समय लगने वाला है, जो कीमतों को नीचे आने से रोकेगा। फिलहाल कुछ सप्ताह तक कीमतों में मजबूत बनी रह सकती है।'
रुपये में लगातार हो रही गिरावट के कारण आयात महंगा होता जा रहा है, जबकि घरेलू बाजार में मांग अच्छी होने से कीमतें मजबूत हुई हैं। इस समय हाजिर और वायदा बाजार में सोयाबीन की कीमतें 3400 रुपये प्रति क्ंिवटल के आसपास चल रही हैं। इस साल जनवरी से सोयाबीन की कीमतों में करीब 1000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और सितंबर के मुकाबले इसमें 1500 रुपये प्रति क्ंिवटल से भी ज्यादा की उछाल नजर आ रही है। सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल के अनुसार सोयाबीन की घरेलू मांग अच्छी है, जिसके कारण फिलहाल कीमतों में कमी नहीं होने वाली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें अधिक होने और रुपये में गिरावट से कीमतों में और मजबूती आने वाली है।
इस साल किसानों को सोयाबीन की रिकॉर्ड कीमत मिलने की वजह से वे इसकी खेती में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अभी तक देश में 84,100 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 1.5 फीसदी अधिक है। पिछले सीजन में देश में 103 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी। किसानों के रुझान को देखते हुए उम्मीद है कि इस साल सोयाबीन के रकबे में 10-15 फीसदी का इजाफा हो सकता है। (B S Hindi)
सोयाबीन की कीमतों में आने वाले समय में और मजबूती आने वाली है या फिर अब कीमतें चरम पर पहुंच गई है? इस पर बाजार के जानकारों की राय अलग-अलग है। कुछ लोगों का मानना है कि फिलहाल सोयाबीन जोखिम के दायरे में पहुंच चुका है। इसलिए निवेशकों को सोच समझकर निवेश की सलाह दी जा रही है। ऐंजल कमोडिटी की नलिनी राव कहती हैं - 'स्पेशल मार्जिन में कटौती और मॉनसून में हो रही देरी से कीमतों को और मजबूती मिलेगी। फिलहाल बाजार में मांग के हिसाब से आवक कम है और बुआई सीजन शुरू हो चुका है। ऐसे में फसल तैयार होने में तीन महीने का समय लगने वाला है, जो कीमतों को नीचे आने से रोकेगा। फिलहाल कुछ सप्ताह तक कीमतों में मजबूत बनी रह सकती है।'
रुपये में लगातार हो रही गिरावट के कारण आयात महंगा होता जा रहा है, जबकि घरेलू बाजार में मांग अच्छी होने से कीमतें मजबूत हुई हैं। इस समय हाजिर और वायदा बाजार में सोयाबीन की कीमतें 3400 रुपये प्रति क्ंिवटल के आसपास चल रही हैं। इस साल जनवरी से सोयाबीन की कीमतों में करीब 1000 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी हो चुकी है और सितंबर के मुकाबले इसमें 1500 रुपये प्रति क्ंिवटल से भी ज्यादा की उछाल नजर आ रही है। सोपा के प्रवक्ता राजेश अग्रवाल के अनुसार सोयाबीन की घरेलू मांग अच्छी है, जिसके कारण फिलहाल कीमतों में कमी नहीं होने वाली है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें अधिक होने और रुपये में गिरावट से कीमतों में और मजबूती आने वाली है।
इस साल किसानों को सोयाबीन की रिकॉर्ड कीमत मिलने की वजह से वे इसकी खेती में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। अभी तक देश में 84,100 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 1.5 फीसदी अधिक है। पिछले सीजन में देश में 103 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की बुआई हुई थी। किसानों के रुझान को देखते हुए उम्मीद है कि इस साल सोयाबीन के रकबे में 10-15 फीसदी का इजाफा हो सकता है। (B S Hindi)
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