आर एस राणा नई दिल्ली
घरेलू उपभोक्ताओं को भले ही ऊंचे दाम पर आटा खरीदना पड़ रहा हो, लेकिन केंद्र सरकार ने विदेशियों को सस्ता गेहूं देने की पूरी तैयारी कर ली है। खाद्य मंत्रालय ने सस्ते दाम पर 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की योजना बनाई है जिससे सरकार को लगभग 1,556 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा। हालांकि, इस बारे में फैसला प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित खाद्य पर उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) को करना है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 20 लाख टन गेहूं निर्यात करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। चालू रबी विपणन सीजन में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 1,285 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दर से गेहूं की खरीद की है। अन्य खर्चे जोडऩे के बाद इस गेहूं की इकोनॉमिक लागत 18,225 रुपये प्रति टन बैठ रही है, जबकि खाद्य मंत्रालय को उम्मीद है कि इसका बिक्री भाव उसे 10,445 रुपये प्रति टन मिल जाएगा। इस आधार पर 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने में केंद्र सरकार को 1,556 करोड़ रुपये का घाटा उठाना होगा। निर्यात सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से ही करने की योजना है।
गेहूं निर्यातक फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने पर घाटा खाद्य मंत्रालय के अनुमान से कहीं ज्यादा होने की संभावना है। सरकार ने इकोनॉमिक लागत के आधार पर घाटे का आकलन किया है, लेकिन इसमें गोदाम से बंदरगाह तक की परिवहन लागत शामिल नहीं है। एफसीआई के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन के आधार पर गेहूं की इकोनॉमिक लागत 18,225 रुपये प्रति टन है तथा लुधियाना से कांडला बंदरगाह तक का रेल भाड़ा करीब 1,460 रुपये प्रति टन होता है। इस आधार पर बंदरगाह पर पहुंच गेहूं का भाव 19,680.50 रुपये प्रति टन हो जाएगा, इसलिए घाटा खाद्य मंत्रालय के अनुमान से ज्यादा होगा।
हाल ही में सार्वजनिक कंपनी एसटीसी द्वारा गेहूं निर्यात के लिए मांगी गई निविदा में कंपनियों ने खरीद के लिए 150 से 230 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के आधार पर भाव कोट किया था तथा इस भाव पर भी केवल छह कंपनियों ने मात्र 5.5 लाख टन गेहूं की खरीद में रुचि दिखाई थी।
केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का रिकॉर्ड स्टॉक जमा हो चुका है। पहली जून को सरकारी गोदामों में 824.39 लाख टन खाद्यान्न का बंपर स्टॉक था। इसमें गेहूं का स्टॉक 501.69 लाख टन है तथा गेहूं की सरकारी खरीद अभी चल रही है। कुल स्टॉक के मुकाबले सरकार के पास भंडारण क्षमता कम है, जबकि पहली अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी। इसलिए सरकार किसी भी कीमत पर सरकारी गोदामों को हल्का करना चाहती है।
किसकी योजना
खाद्य मंत्रालय ने बनाई है सस्ते दाम पर 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की योजना
कितना घाटा
इससे सरकार को उठाना पड़ेगा 1,556 करोड़ रुपये का घाटा
कौन लेगा निर्णय
इस बारे में फैसला करेगा प्रणब की अध्यक्षता वाला ईजीओएम (Business Bhaskar....R S Rana)
घरेलू उपभोक्ताओं को भले ही ऊंचे दाम पर आटा खरीदना पड़ रहा हो, लेकिन केंद्र सरकार ने विदेशियों को सस्ता गेहूं देने की पूरी तैयारी कर ली है। खाद्य मंत्रालय ने सस्ते दाम पर 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने की योजना बनाई है जिससे सरकार को लगभग 1,556 करोड़ रुपये का घाटा उठाना पड़ेगा। हालांकि, इस बारे में फैसला प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में गठित खाद्य पर उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) को करना है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 20 लाख टन गेहूं निर्यात करने का प्रस्ताव तैयार किया गया है। चालू रबी विपणन सीजन में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने 1,285 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की दर से गेहूं की खरीद की है। अन्य खर्चे जोडऩे के बाद इस गेहूं की इकोनॉमिक लागत 18,225 रुपये प्रति टन बैठ रही है, जबकि खाद्य मंत्रालय को उम्मीद है कि इसका बिक्री भाव उसे 10,445 रुपये प्रति टन मिल जाएगा। इस आधार पर 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने में केंद्र सरकार को 1,556 करोड़ रुपये का घाटा उठाना होगा। निर्यात सार्वजनिक कंपनियों के माध्यम से ही करने की योजना है।
गेहूं निर्यातक फर्म के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 20 लाख टन गेहूं का निर्यात करने पर घाटा खाद्य मंत्रालय के अनुमान से कहीं ज्यादा होने की संभावना है। सरकार ने इकोनॉमिक लागत के आधार पर घाटे का आकलन किया है, लेकिन इसमें गोदाम से बंदरगाह तक की परिवहन लागत शामिल नहीं है। एफसीआई के अनुसार चालू रबी विपणन सीजन के आधार पर गेहूं की इकोनॉमिक लागत 18,225 रुपये प्रति टन है तथा लुधियाना से कांडला बंदरगाह तक का रेल भाड़ा करीब 1,460 रुपये प्रति टन होता है। इस आधार पर बंदरगाह पर पहुंच गेहूं का भाव 19,680.50 रुपये प्रति टन हो जाएगा, इसलिए घाटा खाद्य मंत्रालय के अनुमान से ज्यादा होगा।
हाल ही में सार्वजनिक कंपनी एसटीसी द्वारा गेहूं निर्यात के लिए मांगी गई निविदा में कंपनियों ने खरीद के लिए 150 से 230 डॉलर प्रति टन (एफओबी) के आधार पर भाव कोट किया था तथा इस भाव पर भी केवल छह कंपनियों ने मात्र 5.5 लाख टन गेहूं की खरीद में रुचि दिखाई थी।
केंद्रीय पूल में खाद्यान्न का रिकॉर्ड स्टॉक जमा हो चुका है। पहली जून को सरकारी गोदामों में 824.39 लाख टन खाद्यान्न का बंपर स्टॉक था। इसमें गेहूं का स्टॉक 501.69 लाख टन है तथा गेहूं की सरकारी खरीद अभी चल रही है। कुल स्टॉक के मुकाबले सरकार के पास भंडारण क्षमता कम है, जबकि पहली अक्टूबर से धान की सरकारी खरीद शुरू हो जाएगी। इसलिए सरकार किसी भी कीमत पर सरकारी गोदामों को हल्का करना चाहती है।
किसकी योजना
खाद्य मंत्रालय ने बनाई है सस्ते दाम पर 20 लाख टन गेहूं के निर्यात की योजना
कितना घाटा
इससे सरकार को उठाना पड़ेगा 1,556 करोड़ रुपये का घाटा
कौन लेगा निर्णय
इस बारे में फैसला करेगा प्रणब की अध्यक्षता वाला ईजीओएम (Business Bhaskar....R S Rana)
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