दक्षिण भारत में मॉनसून के दस्तक देने के साथ ही धान उत्पादक इस साल बेहतर
उत्पादन को लेकर आशावादी नजर आने लगे हैं। धान के समर्थन मूल्य में 16
फीसदी की बढ़ोतरी की सिफारिशों से किसान पहले ही खुशी जाहिर कर चुके हैं।
सीएसीपी ने खरीफ 2012-13 में धान का एमएसपी 1250 रुपये प्रति क्विंटल करने
की सिफारिश की है। पिछले सीजन में यह 1080 रुपये प्रति क्विंटल था।
पंजाब में धान के रकबे में बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि कपास की कीमतों में अनिश्चितता को देखते हुए कपास किसानों ने इसके कुछ रकबे में धान की बुआई की योजना बनाई है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने हालांकि कहा है कि धान का कुल रकबा करीब 440 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रह सकता है। पिछले कुछ सालों से धान के रकबे में फेरबदल नहीं हुआ है। इस साल धान का उत्पादन पिछले साल के 10.27 करोड़ टन को पार करने की संभावना है। पिछले साल धान का उत्पादन इससे पूर्व के चार वर्षों में सबसे ज्यादा रहा था।
उच्च उत्पादन की उम्मीद की वजह है बेहतर मॉनसून, एमएसपी में बढ़ोतरी का अनुमान और उत्तर-पूर्वी राज्यों में धान की पैदावार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना। चावल शोध संस्थान कटक के निदेशक डॉ. डी महापात्र के मुताबिक, भारत सरकार उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम और पूर्वी उत्तर प्रदेश (कुल रकबे में इन राज्यों की हिस्सेदारी 55 फीसदी से ज्यादा है) में धान का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रही है। पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के लिए 11वीं योजना के दौरान 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। इसके तहत इन राज्यों में फसल की पैदावार में इजाफा करना है। इन राज्यों में धान की पैदावार औसतन 1.7 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि राष्ट्रीय औसत 2.4 टन प्रति हेक्टेयर का है। उन्होंने कहा कि आसानी से पैदावार दोगुनी की जा सकती है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि शहरीकरण व औद्योगीकरण के लिए जमीन की बढ़ती जरूरतों के साथ ही उर्वर भूमि की आपूर्ति सीमित हो गई है, लिहाजा खेती में सुधार के जरिए ही पैदावार में बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)
पंजाब में धान के रकबे में बढ़ोतरी की संभावना है क्योंकि कपास की कीमतों में अनिश्चितता को देखते हुए कपास किसानों ने इसके कुछ रकबे में धान की बुआई की योजना बनाई है। कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने हालांकि कहा है कि धान का कुल रकबा करीब 440 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रह सकता है। पिछले कुछ सालों से धान के रकबे में फेरबदल नहीं हुआ है। इस साल धान का उत्पादन पिछले साल के 10.27 करोड़ टन को पार करने की संभावना है। पिछले साल धान का उत्पादन इससे पूर्व के चार वर्षों में सबसे ज्यादा रहा था।
उच्च उत्पादन की उम्मीद की वजह है बेहतर मॉनसून, एमएसपी में बढ़ोतरी का अनुमान और उत्तर-पूर्वी राज्यों में धान की पैदावार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना। चावल शोध संस्थान कटक के निदेशक डॉ. डी महापात्र के मुताबिक, भारत सरकार उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड, असम और पूर्वी उत्तर प्रदेश (कुल रकबे में इन राज्यों की हिस्सेदारी 55 फीसदी से ज्यादा है) में धान का रकबा बढ़ाने पर जोर दे रही है। पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाने के लिए 11वीं योजना के दौरान 1000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था। इसके तहत इन राज्यों में फसल की पैदावार में इजाफा करना है। इन राज्यों में धान की पैदावार औसतन 1.7 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि राष्ट्रीय औसत 2.4 टन प्रति हेक्टेयर का है। उन्होंने कहा कि आसानी से पैदावार दोगुनी की जा सकती है।
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि शहरीकरण व औद्योगीकरण के लिए जमीन की बढ़ती जरूरतों के साथ ही उर्वर भूमि की आपूर्ति सीमित हो गई है, लिहाजा खेती में सुधार के जरिए ही पैदावार में बढ़ोतरी हो सकती है। (BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें