मानसून में देरी के बुवाई पर प्रभाव पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी: पवार
मानसून का मौजूदा हाल :- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दूसरे सप्ताह में मानसून पश्चिमी तट और पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय हो पाया है जबकि दूसरे सप्ताह में सामान्यतौर पर मानसून देश के ज्यादा हिस्से में सक्रिय हो जाता है।
मानसूनी बारिश कम होने और इसकी प्रगति धीमी होने के कारण देश में खरीफ की बुवाई प्रभावित होने की आशंका पैदा होने लगी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी माना है कि मानसूनी बारिश में देरी हो रही है लेकिन खरीफ की बुवाई पर इसके प्रभाव के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। अगर मानसूनी बारिश में कमी बनी रहती है तो जून के अंत में खरीफ फसलों की बुवाई पर इसके प्रभाव का आकलन लगाया जा सकेगा।
मानसून में देरी से बुवाई प्रभावित होने के बारे में पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इससे पहले जून 2008 में मानसूनी बारिश में देरी हुई थी लेकिन जुलाई व अगस्त में अच्छी बारिश हुई। यह स्थिति 2008 में पैदा हुई थी। इस साल मानसून में देरी हो रही है। इसके संबंध में वह इस महीने के अंतिम सप्ताह में कोई निष्कर्ष निकाल पाएंगे।
पवार ने बताया कि कुछ इलाकों में किसानों ने धान की बुवाई के लिए खेत तैयार करना शुरू कर दिया है। खरीफ में धान के अलावा दलहन, तिलहन और कपास की मुख्य रूप से खेती होती है। भारतीय कृषि के लिए जीवन रेखा दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल चार दिन की देरी से पांच जून को केरल पहुंचा। इसके बाद मानसून पश्चिम तटीय क्षेत्रों को पूर्वोत्तर राज्यों में छह जून को आगे बढ़ा।
छह जून को समाप्त मानसून के पहले सप्ताह में देश में बारिश करीब 32 फीसदी कम रही। देश में कृषि क्षेत्र के लिए मानसूनी बारिश बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सिर्फ 40 फीसदी खेतिहर जमीन ही सिंचित है। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में करीब 15 फीसदी का योगदान करता है। जबकि इस पर 60 फीसदी आबादी निर्भर है। पिछले दो वर्षों 2010 और 2011 में अच्छी बारिश होने की वजह से रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। (Business Bhaskar)
मानसून का मौजूदा हाल :- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार दूसरे सप्ताह में मानसून पश्चिमी तट और पूर्वोत्तर राज्यों में सक्रिय हो पाया है जबकि दूसरे सप्ताह में सामान्यतौर पर मानसून देश के ज्यादा हिस्से में सक्रिय हो जाता है।
मानसूनी बारिश कम होने और इसकी प्रगति धीमी होने के कारण देश में खरीफ की बुवाई प्रभावित होने की आशंका पैदा होने लगी है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भी माना है कि मानसूनी बारिश में देरी हो रही है लेकिन खरीफ की बुवाई पर इसके प्रभाव के बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। अगर मानसूनी बारिश में कमी बनी रहती है तो जून के अंत में खरीफ फसलों की बुवाई पर इसके प्रभाव का आकलन लगाया जा सकेगा।
मानसून में देरी से बुवाई प्रभावित होने के बारे में पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा कि अभी कुछ भी कहना मुश्किल है। उन्होंने बताया कि इससे पहले जून 2008 में मानसूनी बारिश में देरी हुई थी लेकिन जुलाई व अगस्त में अच्छी बारिश हुई। यह स्थिति 2008 में पैदा हुई थी। इस साल मानसून में देरी हो रही है। इसके संबंध में वह इस महीने के अंतिम सप्ताह में कोई निष्कर्ष निकाल पाएंगे।
पवार ने बताया कि कुछ इलाकों में किसानों ने धान की बुवाई के लिए खेत तैयार करना शुरू कर दिया है। खरीफ में धान के अलावा दलहन, तिलहन और कपास की मुख्य रूप से खेती होती है। भारतीय कृषि के लिए जीवन रेखा दक्षिण-पश्चिम मानसून इस साल चार दिन की देरी से पांच जून को केरल पहुंचा। इसके बाद मानसून पश्चिम तटीय क्षेत्रों को पूर्वोत्तर राज्यों में छह जून को आगे बढ़ा।
छह जून को समाप्त मानसून के पहले सप्ताह में देश में बारिश करीब 32 फीसदी कम रही। देश में कृषि क्षेत्र के लिए मानसूनी बारिश बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सिर्फ 40 फीसदी खेतिहर जमीन ही सिंचित है। कृषि क्षेत्र देश के सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में करीब 15 फीसदी का योगदान करता है। जबकि इस पर 60 फीसदी आबादी निर्भर है। पिछले दो वर्षों 2010 और 2011 में अच्छी बारिश होने की वजह से रिकॉर्ड उत्पादन हुआ। (Business Bhaskar)
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