घरेलू हालात
अहमदाबाद में कॉटन के दाम घटकर 32,300-32,500 रुपये प्रति कैंडी रह गए
एक माह पहले कॉटन बिक रही थी 35,200 से 35,500 रुपये प्रति कैंडी
लुधियाना में यार्न के दाम 10 फीसदी घटकर 195-200 रुपये प्रति किलो रह गए
घरेलू मिलों के पास कॉटन का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है
यार्न का भी निर्यात हल्का होने से निर्यातकों की भी मांग कमजोर
भारतीय निर्यातकों के लिए शिपमेंट सौदे करना फायदेमंद नहीं रह गया
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन (जिनिंग की हुई रुई) की कीमतों में आई भारी गिरावट से कॉटन का निर्यात धीमा पडऩे का अनुमान है क्योंकि निर्यातकों को भाव पड़ते नहीं लग रहे हैं। साल भर में विश्व बाजार में कॉटन की कीमतें 77.45 फीसदी घट चुकी हैं। न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई डिलीवरी कॉटन 78.09 सेंट प्रति पाउंड रह गई है।
केसीटी एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि वर्ष 2012-13 में विश्व स्तर पर कॉटन का बकाया स्टॉक 737 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) बचने की संभावना है, जो पिछले साल से दस फीसदी अधिक है। चीन की आयात मांग भी कमजोर बनी हुई है जिससे विश्व बाजार में कॉटन के दाम लगातार घट रहे हैं।
उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें घटकर 14 जून को 78.09 सेंट प्रति पाउंड रह गईं जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 155.54 सेंट प्रति पाउंड था।
गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम घटने से निर्यातकों की मांग काफी कम हो गई है। यार्न मिलों की मांग भी कमजोर होने के कारण घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में गिरावट बनी हुई है।
अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव शुक्रवार को घटकर 32,300 से 32,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गया जबकि आठ मई को इसका भाव 35,200 से 35,500 रुपये प्रति कैंडी था। मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि यार्न की कीमतों में भी गिरावट बनी हुई है। लुधियाना में यार्न का दाम घटकर शुक्रवार को 195-200 रुपये प्रति किलो रह गया। महीने भर में इसकी कीमतों में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
घरेलू मिलों के पास कॉटन का पर्याप्त स्टॉक है जबकि यार्न में निर्यातकों की मांग कमजोर है। गुजरात और महाराष्ट्र की मंडियों में करीब 24,000 से 25,000 गांठ कपास की आवक हो रही है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में कपास का उत्पादन 352 लाख गांठ होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2010-11 में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business bhskar...R S Rana)
अहमदाबाद में कॉटन के दाम घटकर 32,300-32,500 रुपये प्रति कैंडी रह गए
एक माह पहले कॉटन बिक रही थी 35,200 से 35,500 रुपये प्रति कैंडी
लुधियाना में यार्न के दाम 10 फीसदी घटकर 195-200 रुपये प्रति किलो रह गए
घरेलू मिलों के पास कॉटन का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है
यार्न का भी निर्यात हल्का होने से निर्यातकों की भी मांग कमजोर
भारतीय निर्यातकों के लिए शिपमेंट सौदे करना फायदेमंद नहीं रह गया
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन (जिनिंग की हुई रुई) की कीमतों में आई भारी गिरावट से कॉटन का निर्यात धीमा पडऩे का अनुमान है क्योंकि निर्यातकों को भाव पड़ते नहीं लग रहे हैं। साल भर में विश्व बाजार में कॉटन की कीमतें 77.45 फीसदी घट चुकी हैं। न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई डिलीवरी कॉटन 78.09 सेंट प्रति पाउंड रह गई है।
केसीटी एंड एसोसिएट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर राकेश राठी ने बताया कि वर्ष 2012-13 में विश्व स्तर पर कॉटन का बकाया स्टॉक 737 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) बचने की संभावना है, जो पिछले साल से दस फीसदी अधिक है। चीन की आयात मांग भी कमजोर बनी हुई है जिससे विश्व बाजार में कॉटन के दाम लगातार घट रहे हैं।
उन्होंने बताया कि न्यूयॉर्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें घटकर 14 जून को 78.09 सेंट प्रति पाउंड रह गईं जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसका भाव 155.54 सेंट प्रति पाउंड था।
गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम घटने से निर्यातकों की मांग काफी कम हो गई है। यार्न मिलों की मांग भी कमजोर होने के कारण घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतों में गिरावट बनी हुई है।
अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव शुक्रवार को घटकर 32,300 से 32,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रह गया जबकि आठ मई को इसका भाव 35,200 से 35,500 रुपये प्रति कैंडी था। मुक्तसर कॉटन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर नवीन ग्रोवर ने बताया कि यार्न की कीमतों में भी गिरावट बनी हुई है। लुधियाना में यार्न का दाम घटकर शुक्रवार को 195-200 रुपये प्रति किलो रह गया। महीने भर में इसकी कीमतों में करीब 10 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
घरेलू मिलों के पास कॉटन का पर्याप्त स्टॉक है जबकि यार्न में निर्यातकों की मांग कमजोर है। गुजरात और महाराष्ट्र की मंडियों में करीब 24,000 से 25,000 गांठ कपास की आवक हो रही है। कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में कपास का उत्पादन 352 लाख गांठ होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2010-11 में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। (Business bhskar...R S Rana)
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