हल्दी की कीमतों में भारी गिरावट के बाद किसानों को हुए काफी ज्यादा नुकसान
के चलते इस साल हल्दी के रकबे में पिछले साल के मुकाबले करीब 50-60 फीसदी
की गिरावट के आसार हैं। कुछ इलाकों में हल्दी की कीमतें उत्पादन लागत से
नीचे है।
मौजूदा समय में कारोबारी और किसान इस मसाले की बिक्री नुकसान पर कर रहे हैं। हल्दी की उत्पादन लागत प्रति किलोग्राम 40 रुपये है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी बाजार कीमत करीब 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम है। पिछले एक साल में हल्दी की कीमतें 50 फीसदी कम हुई हैं और एनसीडीईएक्स पर इसका भाव 7252 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 3554 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।
भारतीय मसाला बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात की पुष्टि की है कि इस साल हल्दी के रकबे में भारी गिरावट के आसार हैं। आंध्र प्रदेश के कृषि विभाग के मुताबिक, पिछले साल 81,000 हेक्टेयर में हल्दी की बुआई हुई थी, जो इस साल घटकर 35,000 हेक्टेयर पर आ सकता है।
किसान इस साल कपास, दलहन और तिलहन की बुआई के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं क्योंकि इन जिंसों मेंं पिछले एक साल में बेहतर प्रतिफल दिया है और यहां तक कि सरकार ने इन जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी तीव्र बढ़ोतरी की है। इस तरह से सरकार ने हल्दी किसानों को इसके मुकाबले ज्यादा प्रतिफल का भरोसा दिया है।
इस साल की स्थिति साल 2008-09 की तरह है जब हल्दी की कीमतें गिरकर 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई थी और इसी वजह से किसानों ने कपास और तिलहन का रुख किया था। इस घटने के बाद हल्दी की कीमतें साल 2010 में 17,500 से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई थीं क्योंकि इसका उत्पादन घट गया था।
कारोबारियों को इस साल पुरानी घटना के दोहराव की संभावना नजर आ रही है और उन्हें उम्मीद है कि सितंबर 2013 से इसकी कीमतें बढऩी शुरू होंगी। पिछले साल 1 करोड़ बैग (प्रति बैग 75 किलोग्राम) हल्दी का उत्पादन हुआ था और इससे पूर्व वर्ष का कैरीओवर स्टॉक 20 लाख बैग था। (BS Hindi)
मौजूदा समय में कारोबारी और किसान इस मसाले की बिक्री नुकसान पर कर रहे हैं। हल्दी की उत्पादन लागत प्रति किलोग्राम 40 रुपये है, लेकिन मौजूदा समय में इसकी बाजार कीमत करीब 30-35 रुपये प्रति किलोग्राम है। पिछले एक साल में हल्दी की कीमतें 50 फीसदी कम हुई हैं और एनसीडीईएक्स पर इसका भाव 7252 रुपये प्रति क्विंटल से घटकर 3554 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया है।
भारतीय मसाला बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी भी इस बात की पुष्टि की है कि इस साल हल्दी के रकबे में भारी गिरावट के आसार हैं। आंध्र प्रदेश के कृषि विभाग के मुताबिक, पिछले साल 81,000 हेक्टेयर में हल्दी की बुआई हुई थी, जो इस साल घटकर 35,000 हेक्टेयर पर आ सकता है।
किसान इस साल कपास, दलहन और तिलहन की बुआई के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं क्योंकि इन जिंसों मेंं पिछले एक साल में बेहतर प्रतिफल दिया है और यहां तक कि सरकार ने इन जिंसों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी तीव्र बढ़ोतरी की है। इस तरह से सरकार ने हल्दी किसानों को इसके मुकाबले ज्यादा प्रतिफल का भरोसा दिया है।
इस साल की स्थिति साल 2008-09 की तरह है जब हल्दी की कीमतें गिरकर 20 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई थी और इसी वजह से किसानों ने कपास और तिलहन का रुख किया था। इस घटने के बाद हल्दी की कीमतें साल 2010 में 17,500 से 20,000 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई थीं क्योंकि इसका उत्पादन घट गया था।
कारोबारियों को इस साल पुरानी घटना के दोहराव की संभावना नजर आ रही है और उन्हें उम्मीद है कि सितंबर 2013 से इसकी कीमतें बढऩी शुरू होंगी। पिछले साल 1 करोड़ बैग (प्रति बैग 75 किलोग्राम) हल्दी का उत्पादन हुआ था और इससे पूर्व वर्ष का कैरीओवर स्टॉक 20 लाख बैग था। (BS Hindi)
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