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19 जून 2012

उर्वरक परिवहन पर सब्सिडी के लिए दूरी की सीमा तय

उर्वरक मंत्रालय ने कंपनियों को निर्देश दिया है कि बंदरगाहों और प्लांटों से 1,400 किलोमीटर से दूर उर्वरकों की सप्लाई न की जाए। मंत्रालय ने यह कदम रेलवे ट्रैफिक का भार घटाने और भाड़ा सब्सिडी घटाने के लिए उठाया है। पिछले वित्त वर्ष 2011-12 में मंत्रालय ने करीब 4,500 करोड़ रुपये की भाड़ा सब्सिडी का भुगतान किया था।

मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उर्वरकों के बेवजह से परिवहन को रोकने के लिए मंत्रालय ने यह कदम उठाया है। कंपनियां बंदरगाह या प्लांट से 1,400 किलोमीटर से ज्यादा दूरी पर उर्वरकों की सप्लाई नहीं भेज सकेंगी। कंपनियों को इस दूरी के भीतर ही सप्लाई सुनिश्चित करनी चाहिए। अधिकारी ने बताया कि इस आदेश के अनुपालन के साथ भी निर्माता और आयातक आसानी से उपभोक्ता राज्यों को उर्वरकों की आसानी से सप्लाई कर सकेंगे।

दूरी की सीमा तय होने से रेलवे रूटों पर ट्रैफिक का भार कम होगा और भाड़ा सब्सिडी का सही इस्तेमाल हो सकेगा। यह आदेश सभी निर्माताओं और आयातकों पर लागू होगा। इस आदेश का आशय है कि सरकार सिर्फ 1,400 किलोमीटर तक उर्वरक परिवहन के लिए ही भाड़ा सब्सिडी का भुगतान करेगी। इससे सरकार को भाड़ा सब्सिडी घटाने में भी मदद मिलेगी।

इससे पहले कंपनियां बंदरगाहों और प्लांटों से देश में किसी भी स्थान पर उर्वरक भेजने के लिए स्वतंत्र थीं और कंपनियों को पूरे भाड़े पर सब्सिडी मिल जाती थी। अभी तक दूरी की कोई सीमा तय नहीं थी। मंत्रालय ने देश के 14 बंदरगाहों को चिन्हित किया है, जहां से रेलवे के जरिये निकटवर्ती राज्यों को उर्वरक भेजे जा सकेंगे।

मसलन, कंपनियां पश्चिमी तट पर कांडला, मूंदड़ा, पीपावाव और जोजी बंदरगाहों से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को उर्वरकों की सप्लाई कर सकेंगी। भारत हर साल करीब 60-60 लाख टन पोटाश व यूरिया और 70 लाख टन डीएपी का आयात करता है। (Business Bhaskar)

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