यह भी फायदा
सरकार की इस पहल से गेहूं की फसल पर लगने वाली येला-रस्ट जैसी बीमारी पर रोक लगाने में भी मदद मिलने की संभावना है क्योंकि इन राज्यों को एनएफएसएम में शामिल किए जाने से रोगों से बचाने के लिए निगरानी बढ़ जाएगी। इन राज्यों में येलो-रस्ट बीमारी ज्यादा फैलती है।
गेहूं और चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को भी चालू वित्त वर्ष (2012-13) में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में शामिल किया गया है। इससे गेहूं की फसल पर लगने वाली येला-रस्ट जैसी बीमारी पर रोक लगाने में भी मदद मिलने की संभावना है क्योंकि इन राज्यों को एनएफएसएम में शामिल किए जाने से रोगों से बचाने के लिए निगरानी बढ़ जाएगी। इन राज्यों में येलो-रस्ट बीमारी ज्यादा फैलती है।
एनएफएसएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं और चावल के उत्पादन में और बढ़ोतरी के लिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को भी एनएफएसएम में शामिल किया गया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एनएफएसएम के तहत गेहूं और चावल के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा जबकि जम्मू-कश्मीर में चावल उत्पादन में बढ़ोतरी मुख्य लक्ष्य होगा।
गेहूं की फसल पर येलो-रस्ट नामक बीमारी इन्हीं राज्यों में ज्यादा देखने को मिलती है, इसीलिए एनएफएसएम के तहत आने के बाद गेहूं की फसल की निगरानी बढ़ेगी, जिससे इस पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए हिमाचल प्रदेश को चावल का उत्पादन बढ़ाने के लिए 15.54 करोड़ रुपये और गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 7.49 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसी तरह से उत्तराखंड में चावल उत्पादन के लिए 16.07 करोड़ रुपये और गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 7.23 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। जम्मू-कश्मीर में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 2.92 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
उन्होंने बताया कि एनएफएसएम के तहत चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित की गई राशि में भी 500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर कुल आवंटन 1,850 करोड़ रुपये का किया गया है। एनएफएसएम द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के परिणामस्वरूप ही देश में वर्ष 2011-12 में रिकॉर्ड 25.25 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले दो साल से देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकॉर्ड 902.3 लाख टन और चावल का 10.34 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है। हालांकि दलहन और तिलहनों का उत्पादन वर्ष 2010-11 के मुकाबले वर्ष 2011-12 में कम होने का अनुमान है। लेकिन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए वित्त वर्ष 2012-13 में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाने पर भी एनएफएसएम के तहत विशेष जोर दिया जा रहा है। (Business Bhaskar....R S Rana)
सरकार की इस पहल से गेहूं की फसल पर लगने वाली येला-रस्ट जैसी बीमारी पर रोक लगाने में भी मदद मिलने की संभावना है क्योंकि इन राज्यों को एनएफएसएम में शामिल किए जाने से रोगों से बचाने के लिए निगरानी बढ़ जाएगी। इन राज्यों में येलो-रस्ट बीमारी ज्यादा फैलती है।
गेहूं और चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को भी चालू वित्त वर्ष (2012-13) में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) में शामिल किया गया है। इससे गेहूं की फसल पर लगने वाली येला-रस्ट जैसी बीमारी पर रोक लगाने में भी मदद मिलने की संभावना है क्योंकि इन राज्यों को एनएफएसएम में शामिल किए जाने से रोगों से बचाने के लिए निगरानी बढ़ जाएगी। इन राज्यों में येलो-रस्ट बीमारी ज्यादा फैलती है।
एनएफएसएम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं और चावल के उत्पादन में और बढ़ोतरी के लिए चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को भी एनएफएसएम में शामिल किया गया है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में एनएफएसएम के तहत गेहूं और चावल के उत्पादन को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा जबकि जम्मू-कश्मीर में चावल उत्पादन में बढ़ोतरी मुख्य लक्ष्य होगा।
गेहूं की फसल पर येलो-रस्ट नामक बीमारी इन्हीं राज्यों में ज्यादा देखने को मिलती है, इसीलिए एनएफएसएम के तहत आने के बाद गेहूं की फसल की निगरानी बढ़ेगी, जिससे इस पर रोक लगाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने बताया कि चालू वित्त वर्ष 2012-13 के लिए हिमाचल प्रदेश को चावल का उत्पादन बढ़ाने के लिए 15.54 करोड़ रुपये और गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 7.49 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसी तरह से उत्तराखंड में चावल उत्पादन के लिए 16.07 करोड़ रुपये और गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 7.23 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। जम्मू-कश्मीर में चावल के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए 2.92 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
उन्होंने बताया कि एनएफएसएम के तहत चालू वित्त वर्ष के लिए आवंटित की गई राशि में भी 500 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी कर कुल आवंटन 1,850 करोड़ रुपये का किया गया है। एनएफएसएम द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के परिणामस्वरूप ही देश में वर्ष 2011-12 में रिकॉर्ड 25.25 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने का अनुमान है। पिछले दो साल से देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है।
कृषि मंत्रालय के तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू रबी में गेहूं का रिकॉर्ड 902.3 लाख टन और चावल का 10.34 करोड़ टन उत्पादन होने का अनुमान है। हालांकि दलहन और तिलहनों का उत्पादन वर्ष 2010-11 के मुकाबले वर्ष 2011-12 में कम होने का अनुमान है। लेकिन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए वित्त वर्ष 2012-13 में तिलहन और दलहन का उत्पादन बढ़ाने पर भी एनएफएसएम के तहत विशेष जोर दिया जा रहा है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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