बिजनेस भास्कर नई दिल्ली
कृषि आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिम मानसून ने मंगलवार को केरल में बाकायदा दस्तक दे दी। मानसूनी बारिश होने से किसानों को बड़ी राहत मिली। भारतीय मौसम विभाग के निदेशक बी पी यादव ने मंगलवार को बताया कि मानसून केरल पहुंच गया है। वैसे, इस बार मानसून चार दिन लेट आया है। पिछले साल 29 मई को ही केरल में मानसून आ गया था।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर केरल में मानसून का आगमन 1 जून को होता है लेकिन इस बार चार दिन की देरी से यह पहुंचा है। हालांकि, इसका प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले भी कई बार मानसून का आगमन 15 जून या फिर 16 जून को हुआ है तथा मानसून सामान्य रहा है। उन्होंने बताया कि 25 जून के आसपास मानसून की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। अभी तक मानसून की स्थिति बहुत अच्छी है और केरल तथा दक्षिणी कर्नाटक के हिस्सों में अगले दो दिनों तक बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि 2012 में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) पूरे देश में सामान्य रहने की संभावना है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के डायरेक्टर डॉ. एच एस गुप्ता ने बताया कि मानसून के समय पर आने से किसानों को फायदा होगा। मौसम विभाग ने लगातार तीसरे साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है जो किसानों के साथ सरकार के लिए भी राहत की बात है। इससे खाद्यान्न पैदावार में बढ़ोतरी होगी।
बी पी यादव ने कहा कि मानसून के अन्य इलाकों में बढऩे के लिए फिलहाल अनुकूल स्थिति है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 'मवार' तूफान की वजह से मानसून के केरल पहुंचने में देरी हुई है। मवार तूफान फिलीपींस के तट पर पश्चिमी प्रशांत महासागर में सक्रिय है। जुलाई के मध्य तक मानसून देश के शेष इलाकों और भारत तथा पड़ोसी देशों बांग्लादेश, भूटान और नेपाल तक पहुंच जाता है। भारत में चार महीनों तक रहने वाला मानसून सामान्यत: हर साल एक जून तक दक्षिणी पश्चिमी हिस्सों में पहुंच जाता है तथा सितंबर तक बारिश होती है। मानसून की बारिश कृषि के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में कृषि भूमि का केवल 40 फीसदी भाग ही सिंचाई के अंतर्गत आता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
कृषि आधारित भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण दक्षिण-पश्चिम मानसून ने मंगलवार को केरल में बाकायदा दस्तक दे दी। मानसूनी बारिश होने से किसानों को बड़ी राहत मिली। भारतीय मौसम विभाग के निदेशक बी पी यादव ने मंगलवार को बताया कि मानसून केरल पहुंच गया है। वैसे, इस बार मानसून चार दिन लेट आया है। पिछले साल 29 मई को ही केरल में मानसून आ गया था।
उन्होंने बताया कि आमतौर पर केरल में मानसून का आगमन 1 जून को होता है लेकिन इस बार चार दिन की देरी से यह पहुंचा है। हालांकि, इसका प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इससे पहले भी कई बार मानसून का आगमन 15 जून या फिर 16 जून को हुआ है तथा मानसून सामान्य रहा है। उन्होंने बताया कि 25 जून के आसपास मानसून की स्थिति की समीक्षा की जाएगी। अभी तक मानसून की स्थिति बहुत अच्छी है और केरल तथा दक्षिणी कर्नाटक के हिस्सों में अगले दो दिनों तक बारिश होने का अनुमान है। आईएमडी ने अपने पूर्वानुमान में कहा है कि 2012 में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितंबर) पूरे देश में सामान्य रहने की संभावना है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के डायरेक्टर डॉ. एच एस गुप्ता ने बताया कि मानसून के समय पर आने से किसानों को फायदा होगा। मौसम विभाग ने लगातार तीसरे साल सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की है जो किसानों के साथ सरकार के लिए भी राहत की बात है। इससे खाद्यान्न पैदावार में बढ़ोतरी होगी।
बी पी यादव ने कहा कि मानसून के अन्य इलाकों में बढऩे के लिए फिलहाल अनुकूल स्थिति है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार 'मवार' तूफान की वजह से मानसून के केरल पहुंचने में देरी हुई है। मवार तूफान फिलीपींस के तट पर पश्चिमी प्रशांत महासागर में सक्रिय है। जुलाई के मध्य तक मानसून देश के शेष इलाकों और भारत तथा पड़ोसी देशों बांग्लादेश, भूटान और नेपाल तक पहुंच जाता है। भारत में चार महीनों तक रहने वाला मानसून सामान्यत: हर साल एक जून तक दक्षिणी पश्चिमी हिस्सों में पहुंच जाता है तथा सितंबर तक बारिश होती है। मानसून की बारिश कृषि के लिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत में कृषि भूमि का केवल 40 फीसदी भाग ही सिंचाई के अंतर्गत आता है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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