सभी पड़ोसी देशों से कारोबार के मामले में स्थिति सामान्य होने के साथ ही
भारत अब पाकिस्तान को कीमती धातुओं व नगों से तैयार आभूषणों का निर्यात
सीधे शुरू कर सकता है।
संस्कृति के साथ-साथ मिलती जुलती पसंद वाले दोनों एशियाई देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की अपार संभावनाओं के बावजूद दोनों देशों के बीच महज 88.5 करोड़ रुपये के आभूषणों का निर्यात होता है। एक ओर जहां भारत कटे व तराशे गए हीरे के साथ-साथ 87 करोड़ रुपये के आभूषणों का निर्यात करता है, वहीं ऐसी चीजों का आयात महज 1.5 करोड़ रुपये का है। चूंकि एक-दूसरे के बाजार तक सीधी पहुंच नहीं है, लिहाजा कारोबार दुबई, श्रीलंका और दूसरे एशियाई देशों के जरिए होता है।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के उपाध्यक्ष संजय कोठारी की अगुआई वाले 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 7-12 जून को पाकिस्तान का दौरा किया और वहां कारोबारियों व खुदरा विक्रेताओं से मुलाकात कर आभूषणों के निर्यात की संभावनाएं तलाशी। प्रतिनिधिमंडल ने वहां प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी से भी मुलाकात की और आभूषण के कारोबार में बढ़ोतरी की संभावनाओं पर चर्चा की। कोठारी के मुताबिक, गिलानी दोनों देशों के बाजारों तक पहुंच में मुश्किलें पैदा करने वाली कर व वीजा संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए सहमत नजर आए। उन्होंने कहा - हम इतना कह सकते हैं कि पाकिस्तान को जल्द ही यानी कुछ ही महीनों में आभूषणों का निर्यात शुरू हो सकता है।
एक ओर जहां पाकिस्तान हमारे देश के लिए आभूषणों के निर्यात का नया ठिकाना होगा, जहां भारत में तैयार आभूषण पसंद किए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर रंगीन नगों का आयात आसान हो जाएगा।
पाकिस्तान का आभूषण बाजार अनुमानित तौर पर 12 अरब डॉलर का है जबकि भारत से आभूषणों का सालाना निर्यात करीब 32-33 अरब डॉलर बैठता है। कोठारी ने कहा - हमने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया है कि वह कर के मुद्दे पर ध्यान दे, जिसके जरिए उन्हें अभी कुछ लाख रुपये ही मिलते हैं। साथ ही वहां वैट की दर काफी ऊंची है और अगर वे इसे घटाते हैं तो इससे भारत की तरफ से सीधा निर्यात काफी हद तक बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान में सरकार ने 19 फीसदी वैट के अलावा 5 फीसदी आयकर भी आरोपित कर रखा है। भारत में हालांकि वैट की दर महज 1 फीसदी है, ऐसे में यहां आभूषणों का कारोबार आसान हो गया है।
इसके अतिरिक्त, भारत दूसरे देशों मसलन रूस, अफ्रीकी देशों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भी निर्यात की संभावनाएं तलाश रहा है। पाकिस्तान के आभूषण बाजार तक सीधी पहुंच से यूरोपीय देशों को निर्यात में होने वाली गिरावट की आंशिक भरपाई हो जाएगी, जो मौजूदा यूरो जोन संकट के चलते गहरा गया है। इसके अलावा पाकिस्तान में रंगीन नगों का भंडार है, जिसका आयात भारत प्रसंस्करण के लिए कर सकता है। एक ओर जहां पाकिस्तान को सीधे आभूषणों का निर्यात जल्द शुरू हो सकता है, वहीं निर्यातक इसे सिर्फ बिजनेस-टु-बिजनेस तक ही सीमित रहना चाहते हैं। कोठारी ने कहा कि भारतीय आभूषण निर्यातकों के लिए यह काफी मुश्किल होगा कि वह उपभोक्ताओं के पास जाए, जैसा कि वह दूसरे बाजारों में करता है। (BS Hindi)
संस्कृति के साथ-साथ मिलती जुलती पसंद वाले दोनों एशियाई देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार की अपार संभावनाओं के बावजूद दोनों देशों के बीच महज 88.5 करोड़ रुपये के आभूषणों का निर्यात होता है। एक ओर जहां भारत कटे व तराशे गए हीरे के साथ-साथ 87 करोड़ रुपये के आभूषणों का निर्यात करता है, वहीं ऐसी चीजों का आयात महज 1.5 करोड़ रुपये का है। चूंकि एक-दूसरे के बाजार तक सीधी पहुंच नहीं है, लिहाजा कारोबार दुबई, श्रीलंका और दूसरे एशियाई देशों के जरिए होता है।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के उपाध्यक्ष संजय कोठारी की अगुआई वाले 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने 7-12 जून को पाकिस्तान का दौरा किया और वहां कारोबारियों व खुदरा विक्रेताओं से मुलाकात कर आभूषणों के निर्यात की संभावनाएं तलाशी। प्रतिनिधिमंडल ने वहां प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी से भी मुलाकात की और आभूषण के कारोबार में बढ़ोतरी की संभावनाओं पर चर्चा की। कोठारी के मुताबिक, गिलानी दोनों देशों के बाजारों तक पहुंच में मुश्किलें पैदा करने वाली कर व वीजा संबंधी समस्याओं पर ध्यान देने के लिए सहमत नजर आए। उन्होंने कहा - हम इतना कह सकते हैं कि पाकिस्तान को जल्द ही यानी कुछ ही महीनों में आभूषणों का निर्यात शुरू हो सकता है।
एक ओर जहां पाकिस्तान हमारे देश के लिए आभूषणों के निर्यात का नया ठिकाना होगा, जहां भारत में तैयार आभूषण पसंद किए जाते हैं। वहीं दूसरी ओर रंगीन नगों का आयात आसान हो जाएगा।
पाकिस्तान का आभूषण बाजार अनुमानित तौर पर 12 अरब डॉलर का है जबकि भारत से आभूषणों का सालाना निर्यात करीब 32-33 अरब डॉलर बैठता है। कोठारी ने कहा - हमने पाकिस्तान सरकार को सुझाव दिया है कि वह कर के मुद्दे पर ध्यान दे, जिसके जरिए उन्हें अभी कुछ लाख रुपये ही मिलते हैं। साथ ही वहां वैट की दर काफी ऊंची है और अगर वे इसे घटाते हैं तो इससे भारत की तरफ से सीधा निर्यात काफी हद तक बढ़ जाएगा।
पाकिस्तान में सरकार ने 19 फीसदी वैट के अलावा 5 फीसदी आयकर भी आरोपित कर रखा है। भारत में हालांकि वैट की दर महज 1 फीसदी है, ऐसे में यहां आभूषणों का कारोबार आसान हो गया है।
इसके अतिरिक्त, भारत दूसरे देशों मसलन रूस, अफ्रीकी देशों और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में भी निर्यात की संभावनाएं तलाश रहा है। पाकिस्तान के आभूषण बाजार तक सीधी पहुंच से यूरोपीय देशों को निर्यात में होने वाली गिरावट की आंशिक भरपाई हो जाएगी, जो मौजूदा यूरो जोन संकट के चलते गहरा गया है। इसके अलावा पाकिस्तान में रंगीन नगों का भंडार है, जिसका आयात भारत प्रसंस्करण के लिए कर सकता है। एक ओर जहां पाकिस्तान को सीधे आभूषणों का निर्यात जल्द शुरू हो सकता है, वहीं निर्यातक इसे सिर्फ बिजनेस-टु-बिजनेस तक ही सीमित रहना चाहते हैं। कोठारी ने कहा कि भारतीय आभूषण निर्यातकों के लिए यह काफी मुश्किल होगा कि वह उपभोक्ताओं के पास जाए, जैसा कि वह दूसरे बाजारों में करता है। (BS Hindi)
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