बंपर पैदावार और बड़ी कारोबारी फर्म की तरफ से खरीदारी के अभाव के चलते
अनाज की आपूर्ति बढ़ गई है, लिहाजा मंगलवार को इसकी कीमतें दिल्ली के हाजिर
बाजार में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चली गईं। भारतीय खाद्य निगम ने
पहले के अनुमान के मुकाबले ज्यादा खरीदारी कर ली है और इसके परिणामस्वरूप
भंडारण की समस्या पैदा हुई है। ये चीजें समस्या को और बढ़ा रही है।
औसत किस्म का गेहूं मंगलवार को 1222 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा, जो 2012-13 के लिए घोषित एमएसपी से नीचे है। केंद्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी में 15 फीसदी यानी 165 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 1285 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसी तरह धान की सामान्य किस्म की कीमतें घटकर 990-1020 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई जबकि अच्छी गुणवत्ता वाला धान 1240-1250 रुपये प्रति क्विंटल पर बिका। केंद्र सरकार ने इन दोनों किस्मों की एमएसपी क्रमश: 1250 व 1280 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की है।
हाजिर बाजार में मुख्य अनाज की कीमतों में गिरावट से संकेत मिलता है कि कारोबारियों ने एमएसपी में बढ़ोतरी को तवज्जो नहीं दी है, जिससे दिलचस्प रूप से पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यों के उत्पादकों को ही लाभ मिलने की संभावना है, जहां एफसीआई अनाज की खरीद में सक्रिय है। घबराहट में बिकवाली हालांकि अन्य उत्पादक राज्यों मसलन बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जारी है, जहां किसान एमएसपी से नीचे आढतियों को अपना माल बेच रहे हैं। इन राज्यों में एफसीआई की अनुपस्थिति और निजी कारोबारी की तरफ से एमएसपी पर अनाज की खरीद अनुपयुक्त पाए जाने के चलते देश भर में प्रमुख अनाज की कीमतें नीचे आई हैं। कारोबारियों को अब अहसास हुआ है कि सिर्फ एफसीआई ही एमएसपी पर अनाज की खरीद कर सकता है। दिल्ली के कारोबारी और सुपीरियर एग्रो क्रॉप्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोप्राइटर विकास गुप्ता ने कहा कि निकट भविष्य में कीमतें और नीचे जाने के आसार हैं।
एनसीडीईएक्स पर सितंबर में डिलिवरी वाली गेहूं की कीमतें गिरकर 1205 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं। जुलाई में एक्सपायर होने वाला गेहूं का अनुबंध 1168 रुपये पर है। अनाज की कीमतें देश में रिकॉर्ड उत्पादन के चलते नीचे आ रही हैं। देश में चावल और गेहूं का उत्पादन क्रमश: 1020 लाख टन व 883 लाख टन होने का अनुमान है। सालाना खरीद का दायित्व पूरा करने के लिए एफसीआई को सरकार से 3000-4000 करोड़ रुपये के आवंटन की दरकार होती है। एमएसपी में इजाफे के बाद यह आवंटन भी बढ़ेगा। हालांकि निजी क्षेत्र के नैशनल कॉलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज और नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन ने सरकार से कहा है कि अगर उन्हें सरकारी खरीद की इजाजत दी जाती है तो वह खरीद लागत में कम से कम 10 फीसदी की कमी ला सकते हैं। एनसीएमएसएल के प्रबंध निदेशक संजय कौल ने कहा - अनाज खरीद के मसले पर सरकार को मकसद साफ करना होगा। (BS Hindi)
औसत किस्म का गेहूं मंगलवार को 1222 रुपये प्रति क्विंटल पर रहा, जो 2012-13 के लिए घोषित एमएसपी से नीचे है। केंद्र सरकार ने गेहूं के एमएसपी में 15 फीसदी यानी 165 रुपये की बढ़ोतरी कर इसे 1285 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है। इसी तरह धान की सामान्य किस्म की कीमतें घटकर 990-1020 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गई जबकि अच्छी गुणवत्ता वाला धान 1240-1250 रुपये प्रति क्विंटल पर बिका। केंद्र सरकार ने इन दोनों किस्मों की एमएसपी क्रमश: 1250 व 1280 रुपये प्रति क्विंटल घोषित की है।
हाजिर बाजार में मुख्य अनाज की कीमतों में गिरावट से संकेत मिलता है कि कारोबारियों ने एमएसपी में बढ़ोतरी को तवज्जो नहीं दी है, जिससे दिलचस्प रूप से पंजाब व हरियाणा जैसे राज्यों के उत्पादकों को ही लाभ मिलने की संभावना है, जहां एफसीआई अनाज की खरीद में सक्रिय है। घबराहट में बिकवाली हालांकि अन्य उत्पादक राज्यों मसलन बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जारी है, जहां किसान एमएसपी से नीचे आढतियों को अपना माल बेच रहे हैं। इन राज्यों में एफसीआई की अनुपस्थिति और निजी कारोबारी की तरफ से एमएसपी पर अनाज की खरीद अनुपयुक्त पाए जाने के चलते देश भर में प्रमुख अनाज की कीमतें नीचे आई हैं। कारोबारियों को अब अहसास हुआ है कि सिर्फ एफसीआई ही एमएसपी पर अनाज की खरीद कर सकता है। दिल्ली के कारोबारी और सुपीरियर एग्रो क्रॉप्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रोप्राइटर विकास गुप्ता ने कहा कि निकट भविष्य में कीमतें और नीचे जाने के आसार हैं।
एनसीडीईएक्स पर सितंबर में डिलिवरी वाली गेहूं की कीमतें गिरकर 1205 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गईं। जुलाई में एक्सपायर होने वाला गेहूं का अनुबंध 1168 रुपये पर है। अनाज की कीमतें देश में रिकॉर्ड उत्पादन के चलते नीचे आ रही हैं। देश में चावल और गेहूं का उत्पादन क्रमश: 1020 लाख टन व 883 लाख टन होने का अनुमान है। सालाना खरीद का दायित्व पूरा करने के लिए एफसीआई को सरकार से 3000-4000 करोड़ रुपये के आवंटन की दरकार होती है। एमएसपी में इजाफे के बाद यह आवंटन भी बढ़ेगा। हालांकि निजी क्षेत्र के नैशनल कॉलेटरल मैनेजमेंट सर्विसेज और नैशनल बल्क हैंडलिंग कॉरपोरेशन ने सरकार से कहा है कि अगर उन्हें सरकारी खरीद की इजाजत दी जाती है तो वह खरीद लागत में कम से कम 10 फीसदी की कमी ला सकते हैं। एनसीएमएसएल के प्रबंध निदेशक संजय कौल ने कहा - अनाज खरीद के मसले पर सरकार को मकसद साफ करना होगा। (BS Hindi)
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