बैक्टीरियल ब्लाइट बीमारी में मुरझा जाते हैं धान के पौधे
वैज्ञानिकों ने चावल की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो बैक्टीरियल ब्लाइट (मुरझाना) की बीमारी से सुरक्षित रहेगी। वैज्ञानिकों ने इसका नाम परिष्कृत सांबा महसूरी (आईएसएम) दिया है। यह किस्म डायरेक्टर ऑफ राइस रिसर्च (डीआरआर) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलेक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने मिलकर विकसित की है।
वैज्ञानिकों ने बायोटैक्नोलॉजी का उपयोग करके पहली चावल किस्म विकसित की है। देश में खेती के लिए यह किस्म जल्दी ही रिलीज की जाएगी। सीसीएमबी के डायरेक्टर मोहन राव ने बताया कि आईएसएम किस्म ट्रांसजेनिक प्लांट नहीं है। उन्होंने यहां एक विज्ञप्ति जारी करके बताया है कि बैक्टीरियल ब्लाइट चावल की काफी गंभीर बीमारी है।
इस बीमारी के केमिकल कंट्रोल के लिए कोई भरोसेमंद तरीका उपलब्ध नहीं है। आंध्र प्रदेश के एएनजीआरएयू द्वारा विकसित सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) काफी प्रचलित है। इसकी खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और आसपास के राज्यों में की जाती है। सांबा महसूरी में यह बीमारी जल्दी लगती है।
हालांकि आईएसएम किस्म के चावल की पैदावार में कोई सुधार नहीं होगा लेकिन इसकी फसल एक सप्ताह पहले विकसित हो जाएगी। आईएसएम किस्म उन क्षेत्रों के किसानों के लिए खासी उपयोगी साबित होगी, जहां यह बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
आंध्र प्रदेश में कुरनूल जिले के नांदयाल क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में इस बीमारी का ज्यादा असर रहा। फील्ड ट्रायल के दौरान आईएसएम किस्म की फसल इस बीमारी से सुरक्षित रही है। कृषि संस्थानों ने इस किस्म को लोकप्रिय बनाने के लिए चलाए एक कार्यक्रम में 500 किसानों को 10-10 किलो आईएसएम का बीज देना शुरू किया है। (Business Bhaskar)
वैज्ञानिकों ने चावल की एक ऐसी किस्म विकसित की है जो बैक्टीरियल ब्लाइट (मुरझाना) की बीमारी से सुरक्षित रहेगी। वैज्ञानिकों ने इसका नाम परिष्कृत सांबा महसूरी (आईएसएम) दिया है। यह किस्म डायरेक्टर ऑफ राइस रिसर्च (डीआरआर) और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलेक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) ने मिलकर विकसित की है।
वैज्ञानिकों ने बायोटैक्नोलॉजी का उपयोग करके पहली चावल किस्म विकसित की है। देश में खेती के लिए यह किस्म जल्दी ही रिलीज की जाएगी। सीसीएमबी के डायरेक्टर मोहन राव ने बताया कि आईएसएम किस्म ट्रांसजेनिक प्लांट नहीं है। उन्होंने यहां एक विज्ञप्ति जारी करके बताया है कि बैक्टीरियल ब्लाइट चावल की काफी गंभीर बीमारी है।
इस बीमारी के केमिकल कंट्रोल के लिए कोई भरोसेमंद तरीका उपलब्ध नहीं है। आंध्र प्रदेश के एएनजीआरएयू द्वारा विकसित सांबा महसूरी (बीपीटी 5204) काफी प्रचलित है। इसकी खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और आसपास के राज्यों में की जाती है। सांबा महसूरी में यह बीमारी जल्दी लगती है।
हालांकि आईएसएम किस्म के चावल की पैदावार में कोई सुधार नहीं होगा लेकिन इसकी फसल एक सप्ताह पहले विकसित हो जाएगी। आईएसएम किस्म उन क्षेत्रों के किसानों के लिए खासी उपयोगी साबित होगी, जहां यह बीमारी फैलने की आशंका ज्यादा रहती है।
आंध्र प्रदेश में कुरनूल जिले के नांदयाल क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में इस बीमारी का ज्यादा असर रहा। फील्ड ट्रायल के दौरान आईएसएम किस्म की फसल इस बीमारी से सुरक्षित रही है। कृषि संस्थानों ने इस किस्म को लोकप्रिय बनाने के लिए चलाए एक कार्यक्रम में 500 किसानों को 10-10 किलो आईएसएम का बीज देना शुरू किया है। (Business Bhaskar)
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