05 जनवरी 2010
हालात बेहतर, पर चीनी के दामों में रिकॉर्ड तेजी बनी पहेली
पिछले करीब डेढ़ साल से चीनी की कीमतों में तेजी का जो दौर चल रहा है उसमें अक्टूबर और नवंबर, 2009 सबसे अधिक दिक्कत का समय था। उस समय आपूर्ति न्यूनतम थी और मांग सर्वोच्च स्तर पर। लेकिन तब कीमतों में अप्रत्याशित तेजी नहीं आई थी। अब हालत इसके उलट हैं। दीपावली और ईद जैसे त्योहारों के साथ शादी का सीजन भी बीत गया है। सर्दी होने के नाते सॉफ्ट ड्रिंक उद्योग की मांग भी कम है। सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र से बेहतर उत्पादन के समाचार हैं। सभी राज्यों में उत्पादन सामान्य चल रहा है। यानी आपूर्ति के मोर्चे पर हालात बेहतर हैं और मांग का कोई दबाव नहीं है। लेकिन अचानक एक पखवाड़े में चीनी की एक्स फैक्टरी थोक कीमतें 500 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक बढ़ गईं जो किसी को भी चौंकाने के लिए काफी है।हालांकि इस कीमत बढ़ोतरी का असर अभी खुदरा दामों पर देखने को नहीं मिला है और अभी चीनी के दाम 40 रुपये किलो से कम ही बने हुए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में एक्स फैक्टरी कीमतों की यह तेजी खुदरा कीमतों में देखने को मिल सकती है। इस सबके बावजूद सरकार की ओर से इस मोर्चे पर कोई हलचल नहीं दिख रही है। एक जनवरी को उत्तर प्रदेश में किनौनी चीनी मिल के एक्स-फैक्ट्री भाव बढ़कर 3860 रुपये, मवाना के 3820 रुपये, सिम्भावली और खतौली चीनी मिल के भाव 3850 रुपये प्रति क्विंटल हो गये। जबकि 16 दिसंबर को किनौनी के भाव 3340 रुपये, मवाना के 3310 रुपये, सिम्भावली के 3330 रुपये और खतौली के 3350 रुपये प्रति क्विंटल थे।दिल्ली के एक थोक कारोबारी ने बताया कि ऊंची कीमतों पर थोक बाजार में सौदों में भारी गिरावट आई है। उद्योग सूत्रों का कहना है कि चीनी की कीमतों में तेजी का प्रमुख कारण है अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ना। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम 710 डॉलर प्रति टन हैं। इसमें 40 डॉलर प्रति टन का ढुलाई खर्च जोड़ने पर घरेलू बंदरगाह पर पहुंच चीनी के दाम 3500 रुपये प्रति क्विंटल बैठने चाहिए। मौजूदा भाव पर भारतीय चीनी मिलें आयात सौदे न के बराबर कर रही हैं। ऐसे में एक्स फैक्टरी कीमत में यह बढ़ोतरी चौंकाती है। चीनी मिलें किसानों से गन्ने की खरीद 220-225 रुपये प्रति क्विंटल की दर से कर रही हैं। पीक सीजन होने के कारण गन्ने में रिकवरी भी अच्छी आ रही है। चीनी की मौजूदा कीमतों के हिसाब से मिलों को गन्ना किसानों से अगर 280 रुपये प्रति क्विंटल पर भी मिलता है तो मिलों को इसमें मुनाफा है। घरेलू उत्पादन और अभी तक हो चुके आयात को मिलाकर देश में चीनी की कुल उपलब्धता भी मांग के लगभग बराबर ही होगी। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक चालू पेराई सीजन में देश में चीनी का उत्पादन 160 लाख टन होने की संभावना है। इसमें पिछले साल के करीब 25 लाख टन के बकाया और चालू सीजन में आयातित रॉ शुगर और व्हाइट शुगर की उपलब्धता शामिल करने से चालू सीजन में उपलब्धता करीब 230 लाख टन बैठती है। खपत इससे कम रहने की संभावना है। इसके बावजूद अचानक यह तेजी कई सवाल खड़े करने वाली है। (बिसनेस भास्कर.....आर अस राणा)
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