बकौल कृषि मंत्री; मौजूदा सीजन में 3 के बजाय 1.6 करोड़ टन ही होगी चीनी
मुंबई January 04, 2010
केंद्रीय कृषि और खाद्य मंत्री शरद पवार ने रविवार को साफ शब्दों में कहा कि देश में चीनी की किल्लत साल भर और रहेगी।
उन्होंने कोऑपरेटिव और निजी मिलों सहित राज्य सरकारों पर चीनी उत्पादन का गलत अनुमान देने का आरोप मढ़ा। उन्होंने बताया कि पहले 2009-10 सीजन में 3 करोड़ टन चीनी का उत्पादन अनुमान था पर अब यह महज 1.5 से 1.6 करोड़ टन रह गया है।
पवार महाराष्ट्र के कोऑपरेटिव चीनी मिलों के महासंघ की सालाना बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसे में चीनी की मौजूदा तेजी और एक साल बनी रहेगी और इसके बाद मूल्यवृद्धि पर अंकुश लग जाएगी। इस समय अंतररराष्ट्रीय बाजार में कच्ची चीनी 707 डॉलर और सफेद चीनी 670 डॉलर प्रति टन (दोनों एफओबी भाव) तक पहुंच चुकी है।
अनुमान है कि इस साल करीब 50 से 60 लाख टन चीनी का आयात करना पड़ेगा। इसमें से करीब 40 से 45 लाख टन का आयात मिलों के जरिए अखिल भारतीय अनुबंध से किया जाएगा। इसमें 38 लाख टन कच्ची चीनी और 7 लाख टन उजली चीनी होगी। केंद्र सरकार ने पहले ही आयातित चीनी को आयात शुल्क और लेवी से छूट दे दी है। साथ ही इसका त्वरित वितरण करने की व्यवस्था की गई है।
पवार ने कोऑपरेटिव और निजी मिलों को उत्पादन के सही अनुमान देने को कहा है। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि केंद्र सरकार चीनी का आयात या निर्यात नहीं करेगी। जहां तक 2010-2011 सीजन की बात है देश में करीब 2.15 करोड़ टन चीनी उत्पादित होने का अनुमान है। पवार कच्ची चीनी का आयात करने में निष्क्रियता बरतने पर कोऑपरेटिव चीनी मिलों पर बरसे।
विशेषकर तब महाराष्ट्र मौजूदा सीजन में 48 लाख टन चीनी का उत्पादन करेगा। पवार ने मिलों से कहा कि वे गन्ने की उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान दें। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में गन्ने की उत्पादकता महज 60 टन प्रति हेक्टेयर है जबकि तमिलनाडु में यह 105 टन प्रति हेक्टेयर है। पवार ने मिलों को 5 फीसदी एथेनॉल मिश्रण पर कड़े रुख के लिए भी लताड़ा।
उनके मुताबिक तेल विपणन कंपनियां पिछले 3 साल से 27-28 रुपये प्रति लीटर का भाव स्थिर रखे हुए हैं। मिलों को सचेत करते हुए उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की एथेनॉल उत्पादन क्षमता पहले ही 58 करोड़ लीटर है; इससे मिलों को नुकसान ही होगा।
महासंघ सूत्रों ने बिानेस स्टैंडर्ड को बताया कि एथेनॉल की 27-28 रुपये प्रति लीटर की मौजूदा कीमत अपर्याप्त है क्योंकि शीरा प्रति टन 4,500 से 5,000 रुपये प्रति टन में मिलता है। शोधित स्पिरिट भी 26 से 28 रुपये लीटर मिल रहा है।
हालांकि उन्होंने कहा कि अगले 2 साल में जब शीरा और शोधित स्पिरिट सस्ते हो जाएंगे तब एथेनॉल की मौजूदा कीमत ही आकर्षक हो जाएगी। पवार ने मिलों को कोऑपरेटिव मिलों को पेशेवर बनने की सलाह दी। (बीएस हिन्दी)
05 जनवरी 2010
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