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07 जून 2016

जिंस वायदा के नए नियम जल्द

संशोधित जोखिम प्रबंधन नीति के तहत भारतीय प्रतिभूति एïवं विनिमय बोर्ड (सेबी) जिंस वायदा में संशोधित जोखिम प्रबंधन नीति के लिए नियम तैयार कर रहा है। इनमें तरलता से संबंधित शुरुआती मार्जिन, कॉन्संट्रेशन मार्जिन, सदस्यों के डिफॉल्ट से निपटने के तरीके शामिल हैं। नियामक के एक अधिकारी के मुताबिक सेबी जिंस डेरिवेटिव में मार्जिन इक्विटी डेरिवेटिव के समान कर रहा है।
 
जिंसों में ज्यादातर जिंसों पर शुरुआती मार्जिन लगभग एकसमान होता है। हालांकि बहुत सी जिंसों को तुरंत बेचकर नकदी में बदलना आसान नहीं है। किसी प्रतिकूल रिपोर्ट या असामान्य खरीद या बिक्री से कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव आ सकता है। इससे निपटने के लिए सेबी मार्जिन में बढ़ोतरी करेगा ताकि 2 दिन का जोखिम कवर किया जा सकेगा। इस समय एक दिन का जोखिम कवर किया जाता है। 
 
हालांकि इस कदम को अपने आप में अच्छा माना जा रहा है, लेकिन सेबी में जिस मसले पर विचार-विमर्श हो रहा है वह यह है कि दो प्रमुख जिंस एक्सचेंजों में तरलता का स्तर अलग-अलग है और अगर सभी एक्सचेंजों में तरलता से संबंधित मार्जिन एकसमान नहीं हुआ तो इससे लोग नियामकीय आर्बिट्राज का फायदा उठाएंगे।  उदाहरण के लिए एनसीडीईएक्स में खाद्य तेल खंड तरल (तुरंत बेचकर नकदी हासिल करना) है, जबकि एमसीएक्स पर धातु एवं ऊर्जा खंड तरल हैं। इसलिए एक जिंस को किसी एक्सचेंज पर आसानी से खरीद-फरोख्त की जा सकती है, जबकि दूसरे पर ऐसा करना संभव नहीं हो सकता है। कृषि जिंसों में सीजन के हिसाब से खरीद-फरोख्त होती है। सेबी अंतिम फैसला लेने से पहले इन मसलों पर विचार-विमर्श कर रहा है। सेबी जल्द कॉन्संट्रेशन मार्जिन पर भी जल्द ही कोई फैसला ले सकता है। यह भी जिंस को तुरंत बेचकर नकदी हासिल करने से ही संबंधित है। जब यह पाया जाता है कि कुछ जिंसों या अनुबंधों में अत्यधिक खरीद या बिकवाली हो रही है तो इन्हें फिर से बेचने या खरीदने में जोखिम पैदा होता है और इसलिए ऐसे मामलों में कॉन्संट्रेशन मार्जिन भी लगाया जा सकता है। जब जनवरी में एनसीडीईएक्स ने अरंडी अनुबंध स्थगित किया था तब उसने उन लोगों का कुछ गिरवी रखा था, जिन्हें बाद में डिफॉल्टर घोषित किया गया। हालांकि एक्सचेंज ने उन गिरवी रखी संपत्तियों का इस्तेमाल वास्तविक हेजर्स को भुगतान में किया जिन्हें अनुबंध स्थगित होने से नुकसान हुआ था। इसलिए अब सेबी डिफॉल्टरों से निपटने के तरीके के बारे में विचार कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि इन सभी मसलों पर बहुत जल्द फैसला लिया जाएगा। 
 
सेबी और नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्ज एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) ने इस साल 27 जनवरी को अरंडी में वायदा कारोबार के स्थगन से कुछ सबक सीखे हैं। दोनों अपने स्तर पर जोखिम प्रबंधन एवं निगरानी तंत्र को मजूबत बना रहे हैं। सेबी ने कार्यदल और जोखिम प्रबंधन समिति का गठन किया है, जो सदस्यों के डिफॉल्ट को रोकने के तरीकों के बारे में विचार कर रहे हैं। वहीं एनसीडीईएक्स ने मंडियों के स्तर पर निगरानी तंत्र मजबूत किया है, जिसका वायदा कारोबार पर सबसे ज्यादा असर पड़ता है। सेबी के पूर्णकालिक सदस्य और इस नियामक में जिंस डेरिवेटिव के प्रभारी राजीव कुमार अग्रवाल ने कहा, 'सेबी ने कई कदम उठाए हैं। नियामक ने इस मसले की प्रणालीगत जोखिम, एक्सचेंज के प्रशासन, बाजार समन्वय और निवेशकों की परेशानियों की दृष्टि से जांच की है। एक्सचेंजों में जोखिम प्रबंधन सहित व्यवस्थागत मसलों की जांच के लिए एक कार्यदल गठित किया गया था।' (BS Hindi)

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