देश के कुल चीनी
उत्पादन में करीब एक-तिहाई का योगदान देने वाले महाराष्ट्र में 2016-17
पेराई सत्र में उत्पादन करीब 50 फीसदी तक कम हो सकता है। करीब 200 मिलों का
प्रतिनिधित्व करने वाले महाराष्ट्र के सहकारी चीनी मिल संघ के प्रारंभिक
अनुमान के अनुसार 2016-17 में राज्य में चीनी का उत्पादन 45 लाख टन रह सकता
है जबकि 2015-16 में 84 लाख टन का और 2014-15 में 1.05 करोड़ टन उत्पादन
हुआ था। उत्पादन में इतनी ज्यादा गिरावट मुख्य रूप से प्रमुख गन्न उत्पादक
क्षेत्रों में भीषण सूखे के वजह से आएगी क्योंकि इन इलाकों में गन्ने की
बुआई भी कम हुई है। फेडरेशन के अनुमान के मुताबिक 2016-17 पेराई सत्र में
4.6 करोड़ टन गन्ने की पैदावार होगी, जो 2015-16 में 7.43 करोड़ टन थी।
महाराष्ट्र में 1.35 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ फसल की बुआई होती है, जिनमें
से गन्ने का रकबा 1.02 करोड़ हेक्टेयर है और 8.2 करोड़ टन गन्ने की पैदावार
का अनुमान है। संगठन के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर ने बताया, 'सूखे से
गन्ने की उपलब्धता प्रभावित हुई है, जिससे अंतत: आगामी पेराई सत्र में चीनी
के उत्पादन में 50 फीसदी की कमी आ सकती है। शुरुआती अनुमान के अनुसारा
राज्य में 45 लाख टन चीनी का उत्पादन हो सकता है। इसके साथ ही सूखा
प्रभावित जिलों में कम से कम 40 सहकारी चीनी मिलें गन्ने की किल्लत की वजह
से परिचालन करने की स्थिति में नहीं होंगी। 2015-16 के दौरान सभी 176 चीनी
मिलों (99 सहकारी और 77 निजी) में पेराई की गई थी। उन्होंने कहा कि आगामी
पेराई सत्र में परिचालन नहीं कर पाने वाली मिलों की वित्तीय स्थिति पर भी
प्रतिकूल असर पड़ सकता है। राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय शुगर मिल्स एसोसिएशन
और नैशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के मुताबिक 2015-16 के 2.52
करोड़ टन उत्पादन की तुलना में 2016-17 में 2.35 करोड़ टन उत्पादन होने का
अनुमान है। (BS Hindi)
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