देश का अग्रणी जिंस एक्सचेंज एमसीएक्स विवादों के झमले से बाहर आ चुका
है। एक्सचेंज ने कृषि जिंसों के कारोबार में भी अपने को मजबूत करने की
योजना तैयार की है। एक्सचेंज में जल्द ही कुछ कृषि जिंसों के चार-पांच
अनुबंधों का वायदा कारोबार शुरू होगा। एमसीएक्स अरंडी और काली मिर्च वायदा
की शुरुआत करने की पूरी तैयारी कर चुका है। हालांकि एक्सचेंज ने नियामक
नियमों का हवाला देते हुए जिंसों का नाम नहीं बताया।
अक्टूबर 2013 के बाद पहली बार एमसीएक्स के अधिकारी खुलकर मीडिया के
सामने आए। एमसीएक्स के अध्यक्ष पीके सिंघल ने कहा कि एक्सचेंजअक्टूबर 2013
से मार्च 2015 तक के बुरे दौर से पूरी तरह उबर चुका है। एक्सचेंज का औसत
दैनिक कारोबार समय के साथ स्थिर हुआ और नवंबर 2013 के निम्रतम से मई 2016
में 61 फीसदी अधिक हो चुका है। सिंघल ने कहा कि हमारे पास सबसे बेहतर तकनीक
और कुशल कर्मचारी हैं जिनके बल पर हम किसी भी चुनौती से निपटने के लिए
तैयार हैं। एक्सचेंज का भविष्य अब पूरी तरह से सुरक्षित है। एक्सचेंज ने
पहले बड़े कारोबारी सेंगमेंट पर ध्यान दिया जिनमें बुलियन, मेटल और एनर्जी
शामिल हैं, अब हम कृषि सेंगमेंट को भी मजबूत करेंगे। एमसीएक्स में अरंडी और
काली मिर्च वायदा कारोबार जल्द ही शुरू होगा। एससीएक्स के प्रतिस्पर्धी
एक्सचेंज एनसीडीईएक्स में इन दोनों कृषि जिंसों के वायदा कारोबार इसी साल
निलंबित कर दिए गए। एमसीएक्स ने इन दोनों कृषि जिंसों का वायदा कारोबार
शुरू करने का आवेदन पहले से ही नियामक को दिया है।
एमसीएक्स पर पिछले 13 सालों से मेंथा, कच्चा तेल, क्रूड पाम तेल,
इलायची और कपास का वायदा कारोबार हो रहा है। जबकि ग्वार सीड और ग्वार गम
एवं चीनी के अनुबंधों को शुरू किया तो गया था जो फिलहाल बंद हैं। जिन कृषि
जिंसों का कारोबार एमसीएक्स पर हो रहा है उनमें अभी भी एक्सचेंज की पकड़
मजबूत बनी हुई है। इसी आधार पर एक्सचेंज नए अनुबंधों की शुरुआत करने की
तैयारी में है।
एमसीएक्स के नव नियुक्त प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्याधिकारी मृगांक
परांजपे ने कहा कि हमने अपने कृषि जिंसों के सेगमेंट को मजबूत करने के लिए
जल्दी चार पांच अनुबंधों पर ट्रेडिंग शुरू करने की योजना तैयार की है। इन
जिंसों के वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति नियामक से मांगी गई है,
उम्मीद है कि जल्द ही हमें ट्रेङ्क्षडग शुरू करने की अनुमति मिल जाएगी
क्योंकि एक्सचेंज सभी पहलुओं को पूरा करने में सक्षम है।
वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) के सेबी में विलय ने भारत में कमोडिटी
बाजार का परिदृश्य बदल दिया है। इस विलय से कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट
में नए उत्पादों का मार्ग खुला है । इस मार्केट मेंं बैंकों, म्युचुअल फंड
और बीमा जैसी कंपनियों की भागीदारी बढऩे की संभावना है। उन्होंने कहा कि
एक्सचेंज को कारोबारी स्तर पर मजबूत करने के लिए हमने तकनीक और कुशल लोगों
को शामिल किया है। पिछले एक साल में पांच वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारियों की
नियुक्ति के साथ कर्मचारियों की संख्या में 14 फीसदी की बढ़ोतरी की है।
फिलहाल टेक्नोलजी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एमसीएक्स का
फाइनैंशियल टेक्नोलजी के साथ 2022 तक टेक्नोलजी प्रदाता के रूप में करार
है। एक्सचेंज नए उत्पादों के लॉन्च के लिए पूरी तरह से तैयार है। ऑप्शंस और
इंडाइसेस जैसे नए डेरिवेटिव उत्पादों का कारोबार एक्सचेंज में सफलतापूर्वक
किया जा सकता है। क्लियरिंग कॉर्पोरेशन शुरू करने के सवाल पर परांजपे ने
कहा कि हालांकि सेबी ने इसे शुरूकरने के लिए तीन साल का समय दिया है। इसके
लिए टेक्नोलजी और पर्याप्त नकदी के साथ एक्सचेंज इसे अनिवार्य समय से पहले
अच्छी तरह परिचालित करने के लिए तैयार है।
बीएसई और एनएसई एक्सचेंजों को कमोडिटी सेगमेंट में कारोबार के बारे
में सेबी के अनुमोदन के बारे में परांजपे कहते हैं कि हम प्रतिस्पर्धा के
लिए तैयार हैं। प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं और भारतीय अर्थव्यवस्था का
फायदा होगा। अगले कुछ महीनों में जीएसटी लागू होता है तो कमोडिटी
डेरिवेटिव्स की मांग स्वाभाविक रूप से बढ़ेगी। परांजपे ने निवेशकों को
आश्वस्त करते हुए कहा कि उनकी टीम उच्च विकास के रास्ते पर चलने में सक्षम
है और एमसीएक्स भारत का सबसे बड़ा एक्सचेंज होने के नाते कमोडिटी
डेरिवेटिव्स मार्केट में प्रभावशाली गहनता और हेजिंग की संभावनाओं को
व्यापक और समग्र बनाने में प्रभावी ढंग से योगदान कर सकता है जिससे कि
बाजार में समावेशन को बल मिलेगा। (BS Hindi)
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