हो सकता है कि कुछ अरसे बाद आपकी थाली में मोजांबिक की दाल का जायका
हो। दाल तो मोजांबिक की होगी, लेकिन खास तौर पर भारत के लिए ही उगाई गई
होगी। दरअसल दालों के भाव में कमोबेश हर साल आने वाली तेजी से निपटने तथा
दालों का बफर स्टॉक बढ़ाने के लिए सरकार इस तरह की योजना बना रही है। सरकार
8 लाख टन दालों के इस स्टॉक का बड़ा हिस्सा आयात के जरिये ही पूरा करेगी
और इसी के लिए मोजांबिक में केवल भारतीयों के लिए दाल उगाने पर विचार किया
जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष अधिकारियों की आज हुई उच्च स्तरीय बैठक
में दालों का 8 लाख टन बफर स्टॉक तैयार किया जाएगा, जिसमें से करीब 6.5 लाख
टन आयात से आएगा। बाकी देसी खरीद के जरिये तैयार होगा। जिन 6.5 लाख टन
दालों का आयात होगा, उनमें 3 लाख टन मूंग, 1 लाख टन मसूर और 2 लाख टन चने
की दाल होगी। एक वरिष्ठï सरकारी अधिकारी ने कहा, 'आयात से यह सुनिश्चित हो
जाएगा कि सरकारी खरीद बढऩे पर भी देसी बाजार में दालों की आपूर्ति कम न
हो।' लेकिन बैठक में सबसे दिलचस्प योजना मोजांबिक के बारे में ही बनी।
योजना के मुताबिक उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग के
अधिकारी कृषि विशेषज्ञों के साथ जल्द ही मोजांबिक और म्यांमार जाएंगे। वे
दोनों देशों से लंबे अरसे तक दालों के आयात के करार करने की संभावनाएं
तलाशेंगे। यदि वहां जमीन मिल जाएगी तो वहां के किसानों को भारत के लिए
दालें उगाने को प्रोत्साहित किया जा सकता है। इस बीच सरकार ने चीनी पर 20
प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया और गेहूं पर 25 प्रतिशत आयात शुल्क तीन महीने
के लिए बढ़ा दिया। इस शुल्क की अवधि 30 जून को समाप्त हो रही थी। सरकार ने
चने का वायदा कारोबार फिलहाल रोकने का भी फैसला किया है। (BS Hindi)
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