नई दिल्ली दलहन
कीमतों में उछाल पर अंकुश लगाने में मदद के लिए निजी व्यापारियों ने इस
वर्ष अब तक करीब दो अरब डॉलर मूल्य के 30 लाख टन दलहनों के आयात करने के
लिए अनुबंध किया है। घरेलू उत्पादन में कमी और मांग पूर्ति में बढ़ते अंतर
के बीच कुछ दालों के भाव इस समय 200 रुपये किलोग्राम तक पहुंच गए हैं। फसल
वर्ष 2015-16 (जुलाई से जून) में वर्षा की कमी से दलहन उत्पादन गिर कर एक
करोड़ 70.6 लाख टन रहने का अनुमान है। भारतीय दलहन एवं अनाज संघ के
उपाध्यक्ष बिमल कोठारी ने पीटीआई से कहा, 'पिछले वर्ष व्यापारियों ने
रिकॉर्ड 57.9 लाख टन दलहन आयात का अनुबंध किया था। इस साल व्यापारियों ने
30 लाख टन दलहनों के आयात का अभी तक अनुबंध किया है जिनके अगस्त से लेकर
दिसंबर तक आने की उम्मीद है। इनमें पीली मटर, चना, मसूर और अरहर शामिल
हैं।' उन्होंने कहा कि पीली मटर कनाडा और यूरोपीय देशों से आएगी जबकि चना
ऑस्ट्रेलिया से, मसूर कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से और अरहर पूर्वी अफ्रीका और
म्यांमार से आएगी। उन्होंने कहा कि आयातित दलहनों का कुल मूल्य दो अरब डॉलर
के लगभग होगा। व्यापारियों ने 12 से 15 लाख टन पीली मटर, पांच से सात
लाख टन चना, चार लाख टन मसूर और दो से तीन लाख टन तुअर के आयात के लिए
अनुबंध किए हैं। चालू वित्तवर्ष में कुल आयात के बारे में पूछने पर
उन्होंने कहा कि यह कुल बुवाई के रकबे पर निर्भर करेगा जिसके बेहतर मॉनसून
रहने की भविष्यवाणी और अधिक समर्थन मूल्य की वजह से बढऩे की संभावना है।
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