04 सितंबर 2013
मेहरबान मॉनसून: बढ़ेगा चाय का उत्पादन
इस साल देश पर मॉनसून काफी मेहरबान रहा है। अब तक देश भर में सामान्य से 9 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। मध्य भारत में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। यहां सामान्य से 25 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। लिहाजा मंदी से जूझ रही इकोनॉमी में खेती-बाड़ी से उम्मीदें बढ़ गई हैं। जानकारों को भी लगता है कि मॉनसून से न सिर्फ इससे जुड़ी इंडस्ट्री को सहारा मिलेगा बल्कि देश की ग्रोथ बढ़ाने में भी मॉनसून काफी मददगार साबित होगा।
आखिर बेहतर मॉनसून इस साल क्या इंडस्ट्री के लिए खुशियों की बारिश लेकर आया है। क्या रूरल डिमांड देश को मंदी के दलदल से निकालने में कामयाब हो पाएगी। यही सब समझने के लिए सीएनबीसी आवाज़ ने शुरू की है खास सीरीज- मेहरबान मॉनसून। इसमें उन कंपनियों से बात की जाएगी जिन पर मॉनसून का सीधा असर होता है। फोकस खासतौर पर ऐसी कंपनियों पर होगा जिनका ग्रामीण इलाकों में कारोबार फैला है।
मैक्लॉयड रसेल चाय की खेती, मैन्युफैक्चरिंग और बिक्री के कारोबार में है। कंपनी के असम और पश्चिम बंगाल में चाय के बागान हैं। वियतनाम, यूगांडा और रवांडा में भी एक्सपोजर रखती है। साल भर में 10 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन करती है। पहली तिमाही में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में दबाव के कारण मैक्लॉयड रसेल के रियलाइजेशन पर दबाव देखा गया है। पहली तिमाही में सालाना चाय उत्पादन में 14 फीसदी की बढ़त दर्ज की गई है।
भारत में चाय की बिक्री में सालाना 25.3 फीसदी की बढ़त हो रही है। वहीं रुपये की गिरावट से चाय के एक्सपोर्टरों को फायदा हो रहा है।
मैक्लॉयड रसेल के डायरेक्टर कमल बहेटी का कहना है कि अच्छे मॉनसून के चलते चाय की फसल में रिकवरी देखी गई है। क्रॉप रिकवरी से कंपनी के नुकसान में कमी आ रही है। कंपनी 25 से 30 फीसदी उत्पादन का निर्यात करती है।
आगे चलकर चाय के दाम बढ़ सकते हैं। रुपये की गिरावट से चाय के दाम बढ़ सकते हैं। इस साल चाय का उत्पादन करीब 11.4 करोड़ किलोग्राम रहने का अनुमान है। मैक्लॉयड रसेल की आय और मुनाफे में 15-20 फीसदी की बढ़त की उम्मीद है। वहीं कंपनी को मार्जिन स्थिर रहने का अनुमान है। (Moneycantrol.com)
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