30 सितंबर 2013
आभूषण निर्यातकों को मिली राहत
सरकार द्वारा सोने की आपूर्ति के प्रावधानों में रियायत देने से आने वाले महीनों में भारत से आभूषणों के निर्यात में उछाल आने के आसार हैं। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने स्वर्णाभूषण निर्यातकों को प्रोत्साहित करने के लिए जेम्स ऐंड ज्वैलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के सभी सुझावों पर अपनी सहमति जता दी है। जीजेईपीसी स्वर्णाभूषण निर्यात को बढ़ावा देने वाली शीर्ष संस्था है।
चालू वित्त वर्ष के पहले 5 महीनों में भारत से स्वर्णाभूषणों का निर्यात 57.12 फीसदी घटकर 13,809.54 करोड़ रुपये रह गया है जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 36,404.17 करोड़ रुपये रहा था। निर्यात में गिरावट की मुख्य वजह सोने की किल्लत रही। सरकार ने चालू खाते के घाटे पर लगाम लगाने के उपायों के तहत सोने के आयात प्रावधानों को सख्त कर दिया था जिससे आभूषण निर्यातकों को पर्याप्त मात्रा में आपूर्ति नहीं हो पा रही थी।
आभूषण निर्यातक अब आसानी से सोना प्राप्त कर सकेंगे जिससे निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी। पिछले तीन महीनों के दौरान आपूर्ति बाधित होने से बड़े पैमाने पर आयातित सोने को बंदरगाहों से हरी झंडी नहीं मिली थी। इससे निर्यातकों को काफी नुकसान उठाना पड़ा और बड़े तादाद में निर्यात ऑर्डर को रद्द करना पड़ा। नीतिगत बाधाओं के कारण स्वार्णाभूषण निर्यातकों को हरेक 1 करोड़ रुपये के आभूषण निर्यात पर कम से कम 25,000
सीजेईपीसी के वाइस चेयरमैन पंकज पारेख ने कहा, 'लेकिन डीजीएफटी की ओर से जारी ताजा स्पष्टïीकरण के बाद स्वर्णाभूषणों के निर्यात का कारोबार अब पटरी पर लौट आएगा। हमें आसानी से सोने की आपूर्ति हो सकेगी क्योंकि इस राह में आने वाली सभी बाधाओं को दूर कर लिया गया है।Ó
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी ताजा परिपत्र में कहा गया है कि निर्यातकों को अनिवार्य रूप से 20 फीसदी आयातित सोने की आपूर्ति की जाएगी। लेकिन केवल 20 फीसदी आयात की आपूर्ति पर समान सीमा शुल्क लगाया जाएगा। आभूषण निर्यातक इस बात को लेकर अधिक चिंतित थे कि कहीं अधिक आपूर्ति के लिए इनकार न कर दिया जाए। पारेख ने कहा कि रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के तहत बैंक निर्यातकों को महज 20 फीसदी आपूर्ति कर रहे थे। लेकिन अब निर्यातकों को जरूरत के अनुसार अधिक आपूर्ति भी संभव हो सकेगी।
दूसरी सबसे बड़ी समस्या थी दस्तावेजी सबूत जो आभूषणों के निर्यात से प्राप्त होने वाले विदेशी प्राप्तियों का सबूत पेश कर सके। इसमें यह दिखाना जरूरी था कि बैंक से ली गई पहली खेप में का कहां तक इस्तेमाल किया गया।
जीजेईपीसी ने निर्यातकों से कहा है कि पहली खेप के तहत आपूर्ति प्राप्त करने के बाद कम से कम 280 दिनों का इंतजार करें। इसमें आभूषण तैयार करने के लिए 90 दिन और 180 दिन आवक विप्रेषण और प्रक्रियागत देरी के लिए 10 दिनों का प्रावधान है। लेकिन अब डीजीएफटी ने स्पष्टï किया है कि निर्यात का केवल एक साक्ष्य प्रस्तुत करने से निर्यातक तीसरे खेप के लिए पात्र माने जाएंगे। (BS Hindi)
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