27 सितंबर 2013
सरकार ने रोक लगाई कॉटन व यार्न निर्यात के इंसेंटिव पर
मौजूदा स्थिति - कॉटन यार्न पर मिलता है चार फीसदी तक इंसेंटिव
उद्योग की अपील
निर्यात लाभ वापस लागू करने का अनुरोध
भारत सबसे सस्ता कॉटन यार्न उत्पादक
कॉटन यार्न के लिए निर्यात के अवसर बढ़ रहे
निर्यातकों को कॉटन के निर्यात कारोबार को झटका लगने का अंदेशा
कॉटन व कॉटन यार्न निर्यात को फोकस मार्केट स्कीम (एफएमएस) और इंक्रीमेंटल एक्सपोर्ट स्कीम के तहत मिलने वाले इंसेंटिव पर सरकार ने रोक लगा दी है। इस संबंध में बुधवार को देर रात विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) की तरफ से अधिसूचना भी जारी कर दी गई है। कॉटन यार्न निर्यातकों ने इसे बड़ा झटका बताते हुए सरकार से इन इंसेंटिव को जारी रखने की गुजारिश की है।
कॉटन यार्न निर्यातकों के मुताबिक अब तक उन्हें फोकस मार्केट स्कीम के तहत कुछ विदेशी बाजार के लिए 3 फीसदी की दर से तो कुछ विशेष बाजार के लिए 4 फीसदी की दर से इंसेंटिव मिलते थे। लेकिन अब उन्हें यह इंसेंटिव नहीं दिया जाएगा।
वहीं, कॉटन व कॉटन यार्न निर्यातकों को इंक्रीमेंटल स्कीम के तहत मिलने वाली इंसेंटिव पर भी रोक लगा दी गई है। इंक्रीमेंटल एक्सपोर्ट स्कीम के तहत पिछले साल के मुकाबले अधिक निर्यात करने पर निर्यातकों को इंसेंटिव देने की घोषणा की गई थी।
कन्फेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के चेयरमैन प्रेम मलिक के मुताबिक कॉटन यार्न के निर्यात पर सरकार की तरफ से कोई प्रतिबंध नहीं है और न ही इस निर्यात पर कोई शुल्क है। ऐसे में सरकार की तरफ से कॉटन यार्न निर्यातकों को फोकस मार्केट स्कीम से वंचित करना जायज नहीं है।
सदर्न इंडिया मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन टी. राजकुमार ने बताया कि इससे स्पिनिंग में निवेश करने वाले निर्यातकों को काफी झटका लगेगा। उन्होंने बताया कि देश में अभी 11.50-12.50 करोड़ किलोग्राम कॉटन यार्न का स्टाक है जबकि पिछले साल इस दौरान यह स्टाक 10 करोड़ किलोग्राम का था।
उन्होंने बताया कि पिछले एक दस दिनों के दौरान निर्यात व घरेलू मांग में कमी से कॉटन यार्न की कीमत में 10-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ टेक्सटाइल निर्यात के लक्ष्य को 43 अरब डालर तक ले जाना चाहती है वहीं दूसरी तरफ कॉटन यार्न निर्यात को हतोत्साहित कर रही है। (Business Bhaskar)
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