30 सितंबर 2013
'भंडारण के कारण बढ़ीं प्याज की कीमतें'
प्याज की कीमतों में मौसमी वृद्धि रोकने के लिए नए उपायों की जरूरत
किसानों द्वारा सर्दियों में उगाई गई प्याज का भंडारण करने और बेहतर रिटर्न के लिए उसे बाद में अगस्त-अक्टूबर के दौरान बाजार में बेचने से प्याज की कीमतों में इतनी अधिक वृद्धि हुई है। उपभोक्ता मामलों के सचिव पंकज अग्रवाल के मुताबिक किसानों द्वारा अच्छे रिटर्न के लिए ऐसा कदम उठाने के बाद अब सरकार को भी प्याज की कीमतों में मौसमी वृद्धि को रोकने के कुछ नए उपाए करने की जरूरत है।
उपभोक्ता मामलों के सचिव पंकज अग्रवाल के मुताबिक सभी को पहले यह समझना चाहिए कि प्याज एक रबी (सर्दी) फसल है, जो बाजार में बिकती है।
भंडार की गई प्याज एक अच्छा उत्पाद है, जिसे अगस्त-अक्टूबर महीनों के दौरान धीर-धीरे बाजार में छोड़ा जाता है। इसलिए प्याज में इस मौसमी वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए यहां नए उपायों की बहुत आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि सबसे अधिक प्याज का भंडारण महाराष्ट्र में किया जाता है, यही वह राज्य है जो दिल्ली समेत अन्य राज्यों में प्याज की कीमतें तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
अग्रवाल ने बताया कि कर्नाटका और आंध्र प्रदेश से गर्मियों की प्याज फसल जल्दी आने से दक्षिणी क्षेत्र में प्याज की कीमतें तुलनात्मक रूप से कम होती हैं। बावजूद इसके दिल्ली समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में प्याज की कीमतें अभी भी ६६-७५ रुपये प्रति किलो पर बनी हुई हैं। इसका प्रमुख कारण दक्षिण से प्याज का ट्रांसपोर्टेशन काफी महंगा पडऩा है, इसलिए यहां भंडारित प्याज से ही मांग को पूरा किया जाता है।
अग्रवाल के मुताबिक इस वर्ष प्याज उत्पादन में तकरीबन ४ प्रतिशत की कमी आई है, लेकिन अगस्त के दौरान देश में प्याज की आपूर्ति में ३४ प्रतिशत और सितंबर में ३९ प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। अग्रवाल ने कहा कि उत्पादन और आपूर्ति में गिरावट के बीच का यह अंतर मैच नहीं होता।
इसका मतलब है कि कोई इसका भंडारण कर रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा फसलों के उचित भंडारण के लिए गोदामों को बड़ी संख्या में निर्माण कर किसानों को, विशेषकर महाराष्ट्र में, प्याज के भंडारण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि किसान प्याज का भंडारण करता है तो फिर आप उसका भंडारण नहीं कर सकते।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार के पास यह विकल्प है कि वह प्याज को एक आवश्यक सामग्री घोषित कर भंडारण के खिलाफ कार्रवाई करे। यह कदम उठाने से पहले हमें एक चीज समझनी होगी कि एक फसल चक्र में १.७०-१.८० करोड़ टन प्याज का उत्पादन और भंडारण नहीं किया जा सकता। अप्रैल-मई में ६० फीसदी फसल बाजार में आती है, जबकि २० फीसदी प्याज की फसल सितंबर और नवंबर में आती है। (Business Bhaskar)
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