09 सितंबर 2013
जिंस एक्सचेंजों को कराना होगा वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन
आर.एस. राणा नई दिल्ली | Sep 09, 2013, 00:54AM IST
एनएसईएल विवाद से एफएमसी की आंखें खुलीं
निर्देश
जिंस एक्सचेंजों को आगामी 31 दिसंबर तक सभी वेयरहाउसों का डब्ल्यूडीआरए से कराना होगा रजिस्ट्रेशन
राष्ट्रीय स्तर के सभी कमोडिटी एक्सचेंजों के साथ ही स्पॉट एक्सचेंजों को भी वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा
उद्देश्य
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज में हुई गड़बड़ी की पुनरावृत्ति रोकना मकसद
नेशनल स्पॉट एक्सचेंज लिमिटेड (एनएसईएल) में हुई गड़बड़ी की पुनरावृत्ति रोकने के लिए वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) अब ज्यादा सतर्क हो गया है। एफएमसी ने सभी जिंस एक्सचेंजों से जुड़े वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य कर दिया है। एक्सचेंजों को 31 दिसंबर 2013 तक सभी वेयरहाउसों का वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) से रजिस्ट्रेशन कराना होगा।
डब्ल्यूडीआरए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नेशनल लेवल के सभी छह कमोडिटी एक्सचेंजों के साथ ही स्पॉट एक्सचेंजों को भी अपने वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन के वेयरहाउसों का उपयोग जिंस एक्सचेंजों द्वारा नहीं किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि रजिस्ट्रेशन का मकसद वेयरहाउसों में रखी गई जिंसों की क्वालिटी के साथ ही उसकी पूरी मात्रा को आंकना भी है। इससे जहां एक ओर निवेशकों के हितों की रक्षा होगी, वहीं दूसरी ओर वेयरहाउसों में रखे गए माल का रजिस्ट्रेशन होने से क्वालिटी में सुधार आएगा।
उन्होंने बताया कि जिंस एक्सचेंज अब उन्हीं गोदामों को किराये पर ले सकेंगे जिनका रजिस्ट्रेशन डब्ल्यूडीआरए द्वारा किया गया होगा।
सरकार ने वेयरहाउसिंग और उनकी तरफ से जारी वेयरहाउस रसीद के लिए तीन साल पहले डब्ल्यूडीआरए को नामित किया था। मौजूदा नियमों के मुताबिक जिंस एक्सचेंजों के प्राइवेट वेयरहाउसों को वेयरहाउसिंग रेगुलेटर के पास रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत नहीं होती है, लेकिन एनएसईएल में हुई भारी अनियमितताओं को देखते हुए अब एफएमसी ने सभी वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने का फैसला किया है।
एफएमसी को केंद्र सरकार ने हाल ही में एनएसईएल में होने वाले लगभग 5,600 करोड़ रुपये के सेटलमेंट प्रोसेस पर नजर रखनी की जिम्मेदारी दी है। एनएसईएल लगभग दो दर्जन ब्रोकर्स यानि बायर्स से पेेमेंट लेकर हजारों निवेशकों का पेमेंट देने में नाकाम रहा है।
एनएसईएल में हुई गड़बड़ी के बाद एफएमसी ने एक्सचेंज के लगभग 20 गोदामों की जांच में पाया कि कमोडिटी की जितनी मात्रा और क्वालिटी के लिए जो रसीद जारी की गई थी, जमा कमोडिटी की मात्रा उससे काफी कम थी। इसका मतलब यही है कि इन गोदामों में जारी की गई रसीद फर्जी थी। एफएमसी कैपिटलाइजेशन और फाइनेंशियल एडीक्वेसी के भी नियम बना रहा है, वेयरहाउसों के लिए इन नियमों का पालन करना भी जरूरी होगा।
एफएमसी ने अपनी जांच में पाया कि एनएसईएल विवाद में एक्सचेंज ने क्वालिटी और मात्रा की जवाबदेही से बचने के लिए सारी जिम्मेदारी सर्विसप्रदाता यानि वेयरहाउसों पर डाल दी है। उन्होंने बताया कि भविष्य में इस तरह की गड़बड़ी दोबारा नहीं हो, इसलिए सभी एक्सचेंजों के लिए डब्ल्यूडीआरए से अपने वेयरहाउसों का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य किया गया है। (Business Bhaskar....R S Rana)
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