17 अगस्त 2012
मॉनसून की अनिश्चितताओं से गुड़ में उछाल
इस मॉनसून सीजन में बारिश की कमी गुड़ पर भारी पडऩे लगी है। इस महीने की शुरुआत से लेकर अब तक इसकी कीमतों में 10 फीसदी बढ़ोतरी हो चुकी है। गुड़ की कीमतों में उछाल को पिछले साल कम उत्पादन और बढ़ते उपभोग से भी सहारा मिल रहा है। वाशी कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी) बाजार में पिछले एक महीने में गुड़ की आपूर्ति गड़बड़ा गई है, क्योंकि कोल्हुओं (गुड़ उत्पादन इकाई) ने गन्ना उपलब्ध न होने के कारण उत्पादन रोक दिया है। इसके कारण कारोबारी शीत भंडारगृहों से मंडियों को आपूर्ति कर रहे हैं, जिसका भंडारण उन्होंने गन्ना पेराई के पीक सीजन के दौरान किया था। वाशी मंडी में गुड़ की आवक पिछले एक महीने में 40-50 फीसदी घटकर करीब 240-250 टन पर आ गई है।
कम आपूर्ति की वजह से वाशी कृषि उपज विपणन समिति बाजार में सभी किस्म के गुड़ की कीमतें 300-400 रुपये बढ़कर 3,200-4,500 रुपये प्रति क्विंटल हो गई हैं। बॉम्बे गुड़ मर्चेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दीपक शाह ने कहा, 'बारिश की तुलना में उत्पादन और बाजार में बचा हुआ स्टॉक कम होने के कारण इस कमजोर सीजन में कीमतें चढ़ रही हैं। जब तक नए सीजन की आवक शुरू नहीं होती है तब तक कीमतें ऊंचे स्तर पर रहेंगी।' सूत्रों के अनुसार, पिछले सीजन के दौरान गुड़ का उत्पादन 10-15 फीसदी कम रहा था, क्योंकि उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को गन्ने की अंतिम आपूर्ति तक पेराई जारी रखने का निर्देश दिया था। सूत्रों का अनुमान है कि पिछले सीजन के दौरान गुड़ उत्पादन 1 करोड़ टन रहा।
चीनी मिलें आमतौर पर 7-7.5 फीसदी रिकवरी वाले गन्ने की पेराई नहीं करती हैं। लेकिन सरकार के दबाव में मिलों ने विशेष रूप से एसएपी (राज्य सलाहकार कीमत) वाले राज्यों की मिलों ने रिकवरी की परवाह किए बिना उनके यहां आने वाले पूरे गन्ने की पेराई की।
वहीं भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने इस सीजन में अब तक 19 फीसदी कम बारिश का अनुमान लगाया है, जिससे गन्ने की फसल 10 फीसदी कम रहने का अनुमान है। इससे उत्पादन में भी इतनी ही मात्रा की गिरावट की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इससे भी गुड़ की कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है। हापुड़ के गुड़ कारोबारी और दुर्गादास नारायणदास के मालिक विजेंद्र कुमार बंसल ने कहा देश के दूसरे सबसे बड़े गुड़ बाजार आंध्र प्रदेश के अनाकापल्ली में पुराने गुड़ का भाव भी 3,000-3,500 रुपये चढ़कर 29,000-30,000 टन पर पहुंच गया है।
अनाकापल्ली गुड़ कारोबारी संघ के अध्यक्ष केएलएन राव ने कहा, 'मॉनसून की अश्चितताओं की वजह से गुड़ की कीमतों में तेजी को बल मिल रहा है।' उन्होंने कहा, 'गुड़ की कीमतें करीब 10 फीसदी चढ़ चुकी हैं।' मुजफ्फरनगर के फेडरेशन ऑफ गुड़ टे्रेडर्स के अध्यक्ष अरुण खंडेलवाल ने कहा, 'पश्चिमी उत्तर प्रदेश को छोड़कर मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र समेत सभी क्षेत्रों में गुड़ की कीमतें बढ़ी हैं। साफ है कि नए सीजन की आवक शुरू न होने तक यह रुझान संभवतया जारी रहेगा।'
अनाकापल्ली बाजार के वरिष्ठ कारोबारी के बी राजू ने कहा कि अनाकापल्ली बाजार के गुड़ कारोबारियों ने अपने पुराने स्टॉक को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया है। कारोबारियों ने किसानों से करीब 23,000 टन गुड़ 22,500 रुपये प्रति टन की औसत कीमत पर खरीदा था और इसमें से करीब 60 फीसदी स्टॉक दूसरे राज्यों को 26,500 रुपये प्रति टन पर बेचा गया। वहीं पिछले दो सप्ताह से कीमतें तेजी से बढ़ी हैं और इस समय दूसरे राज्यों के कारोबारी 29,000-30,000 रुपये प्रति टन कीमत देने की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज की तारीख में अनाकापल्ली के कारोबारियों के पास 6,500 टन गुड़ का स्टॉक है। अच्छी कीमतों की वजह से यह स्टॉक जल्द ही उठ जाएगा। (BS HIndi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें