30 अगस्त 2012
मंत्री ने उर्वरक कंपनियों के खिलाफ खोला मोर्चा
एनबीएस पॉलिसी का नाजायज फायदा उठाकर कंपनियों ने दाम कई गुना बढ़ाए, एनबीएस नीति में प्राइस डिकंट्रोल का मतलब यह नहीं है कि कंपनियां मनमाने तरीके से गरीब किसानों से उर्वरकों की ऊंची कीमत वसूलकर मोटा मुनाफा कमाएं। - श्रीकांत जेना, उर्वरक राज्य मंत्री
कॉरपोरेट मनमानी
रुपये की गिरावट के बहाने डीएपी व एमओपी की कीमत में नाजायज वृद्धि
गरीब किसानों के लिए कीमत बढ़ाकर हो रही है भारी मुनाफाखोरी
कीमत में 4,000 से 6,000 रुपये प्रति टन का मुनाफा लेना जायज नहीं
डिकंट्रोल का मतलब कीमत निर्धारण में कंपनियों की मनमानी नहीं
फर्टिलाइजर मंत्री ने अपने ही सेक्टर की कंपनियों के बारे में पीएम से की शिकायत
उर्वरक राज्य मंत्री श्रीकांत जेना ने फर्टिलाइजर कंपनियों द्वारा पोटाश व फॉस्फेट आधारित उर्वरकों की कीमतों में नाजायज बढ़ोतरी करके मुनाफा कमाने के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से शिकायत की है। उन्होंने इस संबंध में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा है। पहली बार अपने सेक्टर के बारे में ही किसी मंत्री ने इस तरह की शिकायत की है।
फर्टिलाइजर सेक्टर के प्रभारी होने के नाते जेना को इस क्षेत्र की कंपनियों की देखरेख करनी होती है लेकिन उन्होंने शिकायत की है कि सरकार द्वारा घोषित न्यूट्रिएंट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) स्कीम में गैर-यूरिया उर्वरकों की कंपनियां मुनाफाखोरी के लिए इस स्कीम का दुरुपयोग कर रही हैं। फॉस्फेटिक व पोटाशिक (पीएंडके) उर्वरकों जैसे डीएपी और एमओपी को एनबीएस नीति के तहत लाया गया है। सरकार ने अप्रैल 2010 में इन उर्वरकों का उत्पादन करने वाली कंपनियों को अपने स्तर पर मूल्य तय करने का अधिकार दे दिया था।
इस साल अप्रैल से पहले डीएपी के भाव 18,200 रुपये प्रति टन थे। अब इसके भाव बढ़कर 25,440 रुपये प्रति टन हो गए हैं। वर्ष 2011 की दूसरी छमाही में डीएपी के भाव 17,200 रुपये प्रति टन थे, जबकि एक साल पहले इसके दाम 9,920 रुपये प्रति टन के स्तर पर थे। इसी तरह एमओपी के दाम 2010 में 4,440 रुपये प्रति टन थे। कंपनियों ने इसकी कीमत बढ़ाकर 2011 में 11,300 रुपये प्रति टन कर दिए। मौजूदा वर्ष में इसके भाव 12,200 रुपये से 23,100 रुपये प्रति टन के बीच रहे।
पिछले 4 अगस्त को जेना ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये के एक्सचेंज रेट में भारी उथल-पुथल का फायदा उठाकर कंपनियां इन दोनों किस्मों के उर्वरकों की बिक्री अनुचित रूप से अत्यधिक ऊंची कीमत पर कर रही हैं और इससे मोटा मुनाफा कमा रही हैं। कंपनियां असामान्य रूप से 4,000 से 6,000 रुपये प्रति टन का मुनाफा ले रही हैं। उन्होंने कहा कि पहले डीएपी का फुटकर मूल्य 18,200 रुपये प्रति टन होता था, अब इसकी कीमत बढ़कर 26,000 रुपये प्रति हो गया है। (Business Bhaskar)
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