06 अगस्त 2012
कमोडिटी में निवेश अब भी फायदे का सौदा
आर एस राणा नई दिल्ली
देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बने हुए है। आगामी दिनों में सरसों और सोयाबीन की कीमतों में तेजी की ही संभावना है। चना, मक्का, सरसों और सोयाबीन में निवेश का अब भी बढिय़ा अवसर है। -डी के अग्रवाल, सीएमडी, एसएमसी इन्वेस्टमेंट एंड एडवाइजर लि.
मानसूनी वर्षा का असर खरीफ के साथ-साथ रबी फसलों पर भी पड़ेगा, इसलिए चने की कीमतों में आगामी दिनों में और भी तेजी की संभावना है।
-बद्दरुदीन, असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट (कमोडिटी), इंडियाबुल्स कमोडिटी लि.
कम बारिश का असर
खरीफ मक्का की पैदावार घटने का अनुमान, कीमतों में तेजी
सोयाबीन की बुवाई बढ़ी है, लेकिन आयातित खाद्य तेल महंगे
ऐसे में सरसों व सोयाबीन में तेजी को मिल रहा है बल
वायदा बाजार में महीने भर में काफी बढ़ गए मक्का व सरसों के दाम, आगे और भी तेजी के आसार
चालू खरीफ सीजन में मानसून की कमी का असर तिलहन, दलहन और मोटे अनाजों की पैदावार पर पडऩे की आशंका है। इसलिए वायदा बाजार में महीने भर में मक्का की कीमतों में 16.9 फीसदी, सरसों की कीमतों में 12.6 फीसदी, सोयाबीन की कीमतों में 12.2 फीसदी तथा चने के दाम में 7.6 फीसदी की तेजी आई है। खरीफ मक्का की पैदावार में कमी आने का अनुमान है, जबकि निर्यात अच्छा हो रहा है। चने का स्टॉक भी घरेलू बाजार में कम है जबकि आयात पड़ता महंगा है। सोयाबीन की बुवाई जरूर बढ़ी है लेकिन आयातित खाद्य तेल महंगे हैं जिससे सरसों और सोयाबीन की तेजी को बल मिल रहा है।
एसएमसी इन्वेस्टमेंट एंड एडवाइजर लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर डी के अग्रवाल ने बताया कि देश के कई राज्यों में सूखे जैसे हालात बने हुए है। उधर अमेरिका में भी सूखे का असर है। वैसे भी घरेलू आवश्यकता की पूर्ति के लिए हमें 50 फीसदी खाद्य तेलों का आयात करना पड़ता है। हालांकि सोयाबीन की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है लेकिन आगामी दिनों में सरसों और सोयाबीन की कीमतों में तेजी की ही संभावना है। राजस्थान की उत्पादक मंडियों में सरसों का भाव 4,500 रुपये और इंदौर में सोयाबीन का 4,500 से 4,650 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस लिहाज से चना, मक्का, सरसों और सोयाबीन में निवेश का अब भी बढिय़ा अवसर है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ सीजन में सोयाबीन की बुवाई बढ़कर 103.23 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है, जबकि पिछले साल इस समय तक 97.50 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। सरसों की पैदावार वर्ष 2011-12 में 67.76 लाख टन का ही होने का अनुमान है, जबकि इससे पिछले साल 81.79 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ब्रोकिंग फर्म इंडियाबुल्स कमोडिटी लिमिटेड के असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट (कमोडिटी) बद्दरुदीन ने बताया कि घरेलू बाजार में चने का स्टॉक कम है, जबकि आयातित माल पड़ता महंगा है।
महाराष्ट्र की अकोला मंडी में चने का भाव 5,200 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि आस्ट्रेलिया से आयातित चना मुंबई में 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है। मानसूनी वर्षा का असर खरीफ के साथ-साथ रबी फसलों पर भी पड़ेगा। इसलिए चने की कीमतों में आगामी दिनों में और भी तेजी की संभावना है। वर्ष 2011-12 के रबी सीजन में चने का उत्पादन 75 लाख टन का हुआ था जो पिछले साल के 82.2 लाख टन से कम है।
ब्रोकिंग फर्म आनंद राठी के असिस्टेंट वाइस प्रेसीडेंट (कमोडिटी-करेंसी) ओमप्रकाश सिंह ने बताया कि मक्का में निर्यातकों की अच्छी मांग है, जबकि चालू खरीफ सीजन में मानसून की बेरुखी का सबसे ज्यादा असर मक्का की फसल पर पडऩे की आशंका है। वैसे भी मक्का का प्रमुख उत्पादन खरीफ सीजन में ही होता है, इसलिए कीमतों में तेजी बनी हुई है। दिल्ली बाजार में मक्का का भाव 1,400-1,450 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है।
(Business Bhaskar......R S Rana
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