20 अगस्त 2012
कम बारिश से रबी फसलों का भी उत्पादन घटने की आशंका
रबी पर किंतु-परंतु - अगस्त में बेहतर बारिश हुई है। मानसून की बाकी अवधि में भी अच्छी बारिश हुई रबी की पैदावार में कमी का अंदेशा कम हो जाएगा। लेकिन आगामी डेढ़ महीने में भी मानसूनी वर्षा सामान्य से कम रही तो रबी की प्रमुख फसलों में गेहूं, चना, सरसों और जौ की पैदावार प्रभावित हो सकती है।
लगातार तीसरे साल यानि अगले रबी सीजन में गेहूं की रिकॉर्ड पैदावार की उम्मीद पर मानसून की बेरुखी का ग्रहण लग सकता है। आगामी डेढ़ महीने में भी मानसूनी वर्षा सामान्य से कम रहने से रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की पैदावार प्रभावित हो सकती है। पहली जून से 17 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 16 फीसदी कम बारिश हुई जबकि गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों हरियाणा और पंजाब में स्थिति ज्यादा ही खराब है। हरियाणा में सामान्य से 67 फीसदी और पंजाब में 65 फीसदी कम बारिश हुई है। हालांकि अगस्त में बारिश में सुधार हुआ है और मानसून के बाकी अवधि में अच्छी बारिश हुई रबी की पैदावार में कमी का अंदेशा कम हो जाएगा।
करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय (डीडब्ल्यूआर) की परियोजना निदेशक डॉ. इंदु शर्मा ने बताया कि मानसून सामान्य से कम रहा तो इसका असर रबी फसलों पर भी पड़ेगा। बारिश कम होने के कारण किसानों ने बासमती धान की खेती में ज्यादा दिलचस्पी दिखाई। बासमती धान के क्षेत्रों में फसल की कटाई लेट होगी तो रबी की फसलों की बुवाई में भी देरी होगी।
हालांकि अभी से अनुमान लगाना जल्दबाजी है क्योंकि मानसून सीजन का डेढ़ महीना बचा हुआ है। अगर इस दौरान मानसूनी बारिश अच्छी हो जाए तो रबी फसलों के उत्पादन में कमी की आशंका घट जाएगी। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में अभी तक हरियाणा और पंजाब में बारिश सामान्य से काफी कम हुई है जो चिंताजनक है।
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के पूर्व निदेशक और वर्तमान में खाद्य एवं कृषि संगठन के सलाहकार प्रोफेसर आर. बी. सिंह ने कहा कि मानसून की कमी से रबी की प्रमुख फसलों गेहूं, चना, सरसों और जौ की पैदावार प्रभावित होगी। उन्होंने बताया कि चना, सरसों और जौ की बुवाई का ज्यादातर क्षेत्रफल असिंचित है इसलिए इनकी बुवाई ज्यादा प्रभावित होगी।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार जून-जुलाई के मुकाबले अगस्त महीने में बारिश में सुधार हुआ है लेकिन अभी भी सामान्य से कम है। पहली जून से 17 अगस्त तक देशभर में सामान्य से 16 फीसदी कम बारिश हुई है। गुजरात के सौराष्ट्र और कच्छ में 82 फीसदी, हरियाणा में 67 फीसदी, पंजाब में 65 फीसदी, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 37 फीसदी, हिमाचल प्रदेश में 39 फीसदी और मराठवाड़ा में 39 फीसदी कम बारिश हुई। ये क्षेत्र कमजोर मानसून से ज्यादा प्रभावित हैं।
कृषि मंत्रालय के चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार बीते फसल वर्ष 2011-12 में गेहूं का रिकॉर्ड 939 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि वर्ष 2010-11 में भी 868.7 लाख टन का उत्पादन हुआ था। रबी दलहन की प्रमुख फसल चने का उत्पादन चौथे अग्रिम अनुमान के अनुसार 75.8 लाख टन, सरसों का 67.76 लाख टन और जौ का उत्पादन 16.1 लाख टन होने का अनुमान है।( Business Bhaskar....R S Rana)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें