30 अगस्त 2012
गन्ना पेराई में होगी देरी
आधिकारिक रूप से यह खुलासा कर दिया गया है कि गन्ने की कम उपलब्धता की वजह से महाराष्ट्र में पेराई सीजन 2012-13 1 अक्टूबर के बजाय 1 नवंबर से शुरू होगा। राज्य में कम बारिश और 2.5 करोड़ टन गन्ने का चारे के रूप में इस्तेमाल होने से इसकी उपलब्धता घटी है।
राज्य के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण की अध्यक्षता वाले एक मंत्री समूह ने इस बारे में बुधवार को अपनी स्वीकृति दे दी। यह भी फैसला किया गया है कि सरकार अक्टूबर की शुरुआत में इस बात की समीक्षा करेगी कि राज्य के हिस्सों में बारिश के जोर पकडऩे की स्थिति को देखते हुए पेराई सीजन जल्दी यानि 15 अक्टूबर से शुरू किया जाए या नहीं।
राष्ट्रीय उत्पादन में 30 फीसदी से ज्यादा योगदान देने वाला राज्य 2012-13 के दौरान 62 लाख टन चीनी उत्पादन के लिए 5.5 करोड़ टन गन्ने की ही पेराई कर पाएगा। रिकवरी केवल 11.30 फीसदी रहने का अनुमान है। राज्य सरकार के एक अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, 'राज्य के ज्यादातर गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अपर्याप्त बारिश हुई है और खेतों में खड़े हुए गन्ने का चारे के रूप में इस्तेमाल हो रहा है। इसकी वजह से चीनी मिलों के अधिकार क्षेत्र में गन्ने की कम उपलब्धता होगी और निकटवर्ती क्षेेत्रों से भी गन्ना खरीदना उनके लिए मुश्किल होगा। सरकार ने उन मिलों को पेराई लाइसेंस नहीं देने का निर्णय लिया है, जहां गन्ने की उपलब्धता 50 फीसदी से कम है।' अधिकारी के मुताबिक उत्पादन गिरकर 60 लाख टन से नीचे आ सकता है।
अधिकारी ने कहा कि राज्य में 2011-12 के दौरान 7.71 करोड़ टन गन्ने की खरीद की गई थी, जिससे 89.9 लाख टन चीनी उत्पादित हुई। इसकी रिकवरी 11.67 फीसदी रही थी। पिछले सीजन के दौरान 120 सहकारी मिलों सहित करीब 162 मिलों ने पेराई की थी। हालांकि इस साल यह संख्या पर्याप्त गन्ना न मिलने की वजह से घट सकती है।
गन्ना उत्पादकों को पहले अग्रिम के भुगतान के बारे में मंत्री समूह ने बुधवार को हुई बैठक में कोई निर्णय नहीं लिया। हालांकि राज्य के चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा पहले ही मिलों को यह निर्देश जारी किया जा चुका है कि पहला अग्रिम उचित और लाभकारी कीमत से कम नहीं होना चाहिए। (BS Hindi)
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