22 अगस्त 2012
बारिश की कमी से बढऩे लगी कॉटन की कीमतें
मुश्किल
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से चालू खरीफ में देशभर में कपास की बुवाई में 5.6 फीसदी कम
गुजरात में कपास की बुवाई 22.42 लाख हैक्टेयर में हुई है जो पिछले साल समान अवधि में 29.05 लाख हैक्टेयर में दर्ज की गई थी
इससे घरेलू बाजार में पिछले दो महीनों में कॉटन की कीमतों में 14.3 फीसदी की तेजी दर्ज
गुजरात, हरियाणा और पंजाब में चालू खरीफ में मानसूनी वर्षा की कमी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में दाम बढऩे से कॉटन (जिंड रूई) की कीमतों में तेजी आई है। घरेलू बाजार में पिछले दो महीनों में कॉटन की कीमतों में 14.3 फीसदी की तेजी आकर सोमवार को भाव 37,800 से 38,300 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) हो गए।
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि प्रमुख कॉटन उत्पादक राज्यों पंजाब, हरियाणा, और गुजरात में मानसूनी वर्षा सामान्य से काफी कम हुई है। स्टॉकिस्टों की बिकवाली कम होने से घरेलू बाजार में कॉटन की कीमतें बढ़ी हैं। उधर अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कीमतों में सुधार आया है। उन्होंने बताया कि न्यूयार्क बोर्ड ऑफ ट्रेड में जुलाई महीने के वायदा अनुबंध में कॉटन की कीमतें 28 जून को 67.70 सेंट प्रति पाउंड थी जबकि 17 अगस्त को बढ़कर 72.37 सेंट प्रति पाउंड हो गई।
गुजरात जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष दलीप पटेल ने बताया कि गुजरात में सूखे जैसे हालात बनने से कॉटन की बुवाई में काफी कमी आई है। राज्य में चालू खरीफ में कपास की बुवाई अभी तक केवल 22.42 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 29.05 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। बारिश नहीं होने से बुवाई हो चुकी फसल को भी नुकसान हो रहा है।
इसीलिए मिलों की मांग पहले की तुलना में बढ़ी है जबकि बिकवाली में कमी आई है। अहमदाबाद मंडी में शंकर-6 किस्म की कॉटन का भाव 20 जून को 33,000 से 33,500 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) था जबकि सोमवार को भाव बढ़कर 37,800 से 38,300 रुपये प्रति कैंडी हो गए।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में देशभर में कपास की बुवाई में 5.6 फीसदी की कमी आई है। अभी तक इसकी बुवाई 110.26 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 116.81 लाख हैक्टेयर में हुई थी। तीसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में कपास का उत्पादन 352 लाख गांठ होने का अनुमान है। जबकि वर्ष 2010-11 में 330 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।(Business Bhaskar.....R S Rana)
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