18 अगस्त 2012
फसल के आकलन के बाद ही ग्वार वायदा की अनुमति
इस खरीफ सीजन में ग्वार की फसल का आकलन किए बिना वायदा बाजार आयोग शायद ही जिंस एक्सचेंजों को ग्वार वायदा दोबारा शुरू करने की अनुमति देगा। कृषि जिंसों का कारोबार करने वाले दो एक्सचेंज एनसीडीईएक्स और ऐस कमोडिटी एक्सचेंज ग्वार वायदा को दोबारा लॉन्च करने के लिए पहले ही एफएमसी के पास आवेदन जमा कर चुका है। 2 अप्रैल से इस पर रोक लगाए जाने से पहले इन एक्सचेंजों पर ग्वार और ग्वार गम के अनुबंध काफी सक्रिय थे।
ग्वार वायदा दोबारा लॉन्च किए जाने में हो रही देरी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों ही एक्सचेंजों पर इन जिंसों के जरिए काफी ज्यादा कारोबार हो रहा था। इसके दोबारा लॉन्च होने से इन एक्सचेंजों पर कारोबार बढ़ सकता है और इनके टर्नओवर में भी मजबूती आ सकती है।
एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा - 'हमें एक्सचेंजों से ग्वार व ग्वार वायदा दोबारा लॉन्च करने की अनुमति की खातिर आवेदन प्राप्त हुए हैं। लेकिन फसल का आकलन किए बिना हम इसकी अनुमति नहीं देंगे।' नियामक ने कहा कि बहुत ज्यादा सटोरिया गतिविधियोंं के चलते इन जिंसों के वायदा कारोबार पर अस्थायी रोक लगाई गई थी। सटोरिया गतिविधियों के चलते ग्वार व ग्वार गम की कीमतें क्रमश: 3000 रुपये व 1 लाख रुपये प्रति क्विंटल हो गई थी। एसोचैम की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वार बीन्स की आदर्श कीमतें 10 रुपये प्रति किलोग्राम होनी चाहिए जबकि ग्वार बीज व ग्वार गम का कारोबार क्रमश: 25 व 50 रुपये प्रति किलोग्राम पर होना चाहिए।
इस बीच, खाद्य व उपभोक्ता मामलों के मंत्री के वी थॉमस ने एफएमसी से कहा था कि ग्वार की कीमतों में आई उछाल की वह दोबारा जांच करे। मंत्रालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में एफएमसी ने कहा है कि हमने ग्वार गम की कीमतों को चढ़ाने में 4490 इकाइयों को शामिल पाया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इन इकाइयों ने ग्वार गम के कारोबार से 1291 करोड़ रुपये का मुनाफा हासिल किया और कारोबारियों ने अधिकतम कीमत पर बेचने तक इसे अपने पास बनाए रखा। मंत्रालय हालांकि शायद ही इन इकाइयों के खिलाफ किसी तरह का कदम उठाएगा।
उपभोक्ता मामलों के सचिव राजीव अग्रवाल ने कहा - मुनाफा कमाना आपराधिक गतिविधि नहीं है, ऐसे में हमें नहीं लगता कि मुनाफा कमाकर इन इकाइयों ने कोई गुनाह किया है। हालांकि समझा जाता है कि एफएमसी अपने स्रोतों से ग्वार की बुआई के आंकड़े इकट्ठा कर रहा है।
जोधपुर के ग्वार कारोबारी संजय पेरिवाल ने कहा कि पिछले पखवाड़े मॉनसून में सुधार हुआ है, लिहाजा राजस्थान के किसान ग्वार की बुआई करेंगे। एफएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि ग्वार वायदा दोबारा लॉन्च होने में देरी हो सकती है क्योंकि एफएमसी ग्वार के फसल का आकलन कर रहा है, जिसकी बुआई अभी जारी है। जब बुआई पूरी हो जाएगी तब एफएमसी इसका आकलन कर लेगा और फिर इसका वायदा लॉन्च करने की अनुमति दी जा सकती है। यह अनुमति दिसंबर के बाद ही मिल सकती है।
दूसरा, मॉनसून में देरी के चलते बाजरे की बुआई का मौका हाथ से निकल गया, ऐसे में किसान उन इलाकों में ग्वार की बुआई कर रहे हैं, जहां बाजरे की बुआई नहीं हो पाई। पेरिवाल ने कहा, इसके परिणामस्वरूप ग्वार का रकबा इस साल दोगुना हो सकता है। कारोबारियों को लगता है कि कम बारिश के बाद भी इस साल ग्वार का उत्पादन कम से कम 50 फीसदी बढ़ेगा। ऐसे में ग्वार का उत्पादन इस साल 19 लाख टन पर पहुंच सकता है जबकि पिछले साल 12.5 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (BS Hindi)
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