14 अगस्त 2012
ऊंचे मार्जिन की लगाम घटने लगे जिसों के दाम
नियामक के सख्त रुख और मुख्य खरीफ उत्पादक क्षेत्रों में मॉनसूनी बारिश में सुधार होने के कारण पिछले एक हफ्ते के दौरान कृषि जिंसों की कीमतों में खासी गिरावट आई है। हालांकि मॉनसून की चिंता और खरीफ सत्र उत्पादन घटने की आशंका है जिससे हाजिर बाजार में कीमतें अब भी ऊंचे स्तर पर बनी हुई हैं। नैशनल कमोडिटी ऐंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में निकट माह के अरंडी आपूर्ति का भाव सोमवार को 11.73 फीसदी घटकर 4,186 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इसी तरह सोयाबीन की कीमत 11.72 फीसदी कम 4,694 रुपये प्रति क्विंटल बोली गई।
कृषि जिंसों की कीमतों में तेज गिरावट से महंगाई से जूझ रही सरकार को भी थोड़ी राहत मिली है। साथ ही कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव रोकने के लिए वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) की ओर से उठाए गए कदमों का भी असर दिख रहा है। एमके कॉमट्रेड के मुख्य वित्त अधिकारी अतुल शाह ने कहा, 'कृषि जिंसों की कीमतों में गिरावट के पीछे मॉनसून में सुधार, वायदा अनुंबधों को निलंबित करने की सरकार की चेतावनी और नियामक के सख्त कदमों का योगदान है।'
हालांकि कमजोर मॉनूसन की चिंता से हाजिर बाजार में कृषि जिंसों की कीमतों में तेजी बनी हुई है। गुजरात के ऊंझा बाजार में सोमवार को जीरा 16,157 रुपये प्रति क्विंटल के भाव बिका, जबकि एनसीडीईएक्स पर निकट माह की आपूर्ति का भाव 15,880 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
शुरुआत में मॉनसूनी बारिश 22 से 24 फीसदी कम रही थी लेकिन बारिश में कमी अब 19 फीसदी ही रह गई है। हालांकि उत्तर-पूर्वी राज्यों में मॉनसूनी बारिश में सुधार हुआ है लेकिन खरीफ उत्पादन पर इसका खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि धान को छोड़कर ये क्षेत्र मुख्य खरीफ उत्पादक राज्य नहीं हैं। कृषि जिंसों की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव को देखते हुए खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री के वी थॉमस ने चेतावनी दी थी कि अगर कीमतों की चाल ऐसी ही रही तो वायदा कारोबार रोका जा सकता है। इससे बाजार को लगा कि सरकार कुछ और जिंसों के वायदा कारोबार पर पाबंदी लगा सकती है। 2007 में उड़द और अरहर के वायदा कारोबार पर रोक लगाई जा चुकी है। पिछले दिनों कीमतों में तेजी को देखते हुए एफएमसी ने सख्त कदम उठाते हुए कुछ अनुंबधों पर ज्यादा मार्जिन लगाने की घोषणा की वहीं कुछ जिंसों के वायदा को तात्कालिक तौर पर निलंबित कर दिया। नियामक ने ग्वार और सोयाबीन के अनुंबध पर रोक लगाने के साथ ही आलू (तारकेश्वर) और हल्दी के ताजा अनुंबधों पर भी रोक लगा दी। चीनी, गेहूं, कपास, कपास बीज, खली और सोयाखली के अनुंबधों पर ज्यादा मार्जिन लगाया है। (BS Hindi)
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