23 अगस्त 2012
कर्ज में फंसी संपत्तियां बेच सकेगा नेफेड
वित्त मंत्रालय ने कृषि सहकारी संस्था नेफेड को उसकी गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) की बिक्री करने की अनुमति दे दी है। अनुमति के बाद नेफेड, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों को करीब 1,800 करोड़ रुपये में अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री करेगा। देश में यह पहली बार है कि जब कोई सहकारी संस्था अपनी परिसंपत्तियों की बिक्री कर रही है।
आमतौर पर बैंकों को एनपीए बेचने की अनुमति दी जाती है। लेकिन एक विशेष मामला मानकर मंत्रालय ने नेफेड को जून में इसकी मंजूरी दी थी, जिससे वह अपनी कार्यशैली को और बेहतर बना सके। राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ के प्रबंध निदेशक राजीव गुप्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, 'हमें वित्तीय सेवा विभाग से परिसंपत्ति पुनर्निर्माण से जुड़ी कंपनियों को अपने एनपीए बेचने की अनुमति मिल गई है। पिछले हफ्ते हमारे निदेशक मंडल ने इन कंपनियों से निविदाएं मंगाने का फैसला किया।' एआरसीआईएल और रिलायंस एआरसी समेत देश में करीब 14 परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियां मौजूद हैं।
2003 से अब तक नेफेड ने करीब 62 कंपनियों के साथ करार किया है और गठजोड़ कारोबार पर करीब 3,962 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसके लिए नेफेड ने वाणिज्यिक बैंकों से ऋण लिया था। संघ को 2003-04 और 2005-06 के दौरान ऐसे कारोबारों से करीब 88.4 करोड़ रुपये का लाभ हुआ है। नेफेड ने आयात और निर्यात के लिए निजी कंपनियों को अग्रिम राशि भी जारी कर दी है।
कई कंपनियों ने न आयात किया और न ही निर्यात और भुगतान करने में भी नाकाम रही हैं। नेफेड अपने 2,900 करोड़ रुपये वसूलने में कामयाब रही जबकि भुगतान नहीं करने वालों के खिलाफ उसने आपराधिक कार्रवाई शुरू कर दी है। 1,800 करोड़ रुपये की बकाया रकम में 1,050 करोड़ मूल रकम और इस पर मिलने वाला 750 करोड़ रुपये का ब्याज शामिल है।
हालांकि वित्त वर्ष 2010-11 में नेफेड ने 48 करोड़ रुपये का लाभ कमाया लेकिन ब्याज के तौर पर 170 करोड़ रुपये की देनदारी होने के कारण उसे 108.5 करोड़ रुपये का शुद्घ घाटा हुआ। नेफेड की सालाना ब्याज देनदारी पिछले तीन साल से उसके परिचालन मुनाफे से ज्यादा हो गई है, जिस कारण वह इस ऋण को चुका नहीं पाया है। पिछले साल नेफेड ने बैंकों से ब्याज भुगतान की तिथि बढ़ाने के लिए आवेदन किया था।
नेफेड, सरकार की ओर से गैर-अनाज फसल मसलन कपास, तिलहन और दालों की खरीद करता है। बाजार मूल्य के न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर नेफेड किसानों से इन फसलों की खरीद करता है और बाजार भाव बढऩे पर बेचता है। यह कई कृषि जिंसों में टे्रडिंग भी करता है। हालांकि ब्याज के बढ़ते बोझ के कारण नेफेड के लिए अपने ट्रेडिंग के कारोबार को चालू रखना मुश्किल हो गया है। वित्त वर्ष 2010 में नेफेड ने 6,373 करोड़ रुपये का कारोबार किया था, जो वित्त वर्ष 2011 में घटकर महज 2,008 करोड़ रुपये ही रह गया। एनपीए की बिक्री से मिलने वाली रकम का इस्तेमाल नेफेड अपने ट्रेडिंग कारोबार को बढ़ाने के लिए करेगा। (BS Hindi)
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