04 अगस्त 2012
हाजिर के मुकाबले भारी छूट पर कृषि जिंस वायदा
वायदा बाजार में कई कृषि जिंसों का कारोबार हाजिर के मुकाबले कम कीमत पर हो रहा है। बाजार के प्रतिभागियों का कहना है कि वायदा बाजार आयोग की तरफ से उठाए गए कदमों के चलते ऐसा देखने को मिल रहा है।
सामान्य तौर पर वायदा बाजार पर कीमतें ज्यादा होती हैं क्योंकि इसमें इन्हें बनाए रखने की लागत शामिल होती है। लेकिन जब अनुबंध निकट माह का होता है और जो परिपक्व होने वाला होता है वह कम कीमत पर उपलब्ध होने लगता है क्योंकि सटोरिया पोजीशन परिपक्व होने वाले अगले अनुबंध में कैरी फॉरवर्ड हो जाता है और परिपक्वता पर डिलिवरी की संभावना से ऐसे अनुबंध की कीमत हाजिर बाजार के मुकाबले नरम हो जाती है। इस बार हालांकि नियामक द्वारा उठाए गए कई कदमों के चलते इन जिंसों की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। नियामक ने कई कृषि जिंसों में मार्जिन 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया है, साथ ही स्टैगर्ड डिलिवरी से संबंधित पाबंदियां भी लगाई हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में मार्जिन 50 फीसदी तक कर दिया गया है। निकट माह वाले कुछ अनुबंध का कारोबार हाजिर के मुकाबले छूट पर हो रहा है। मेंथा, सोयाबीन और हल्दी की वायदा कीमतें हाजिर के मुकाबले 9-13 फीसदी तक कम हैं। ऐसे हालात जून से पहले वास्तव में नजर नहीं आ रहे थे।
एफएमसी के चेयरमैन रमेश अभिषेक ने कहा - कृषि जिंसों की वायदा कीमतें अब हाजिर बाजार की पोजीशन को प्रतिबिंबित कर रही हैं, जिसकी काफी जरूरत है। इसका मतलब यह हुआ कि वायदा कीमतों के चलते हाजिर बाजार में बढ़त नहीं आ रही है और वायदा बाजार में सटोरिया गतिविधियां नियंत्रित हैं।
एफएमसी ने पहले ही गैर-व्यस्त सीजन में परिपक्व होने वाले अनुबंधों को चालू करने की अनुमति देना बंद कर दिया है। कृषि जिंसों के मामले में कुछ महीने ऐसे होते हैं जब बाजार में नई फसल की आवक नहीं होती है और ऐसे में उस मौसम में शायद ही कोई डिलिवरी हो पाएगी। ऐसे गैर-व्यस्त सीजन में परिपक्व होने वाले अनुबंध की अनुमति एफएमसी नहीं दे रहा है और कई मसालों व तिलहन समेत करीब 15 कृषि जिंसों के बारे में एफएमसी ने एक्सचेंजों को अपने फैसले से अवगत करा दिया है। साल 2013 के गैर-व्यस्त सीजन के अनुबंधों की अनुमति देने से एफएमसी मना कर चुका है।
अब तक उठाए गए मजबूत नियामकीय कदम हालांकि अभी शुरुआती हैं, हालांकि वायदा बाजार की पारदर्शिता के लिए कई और कदम उठाए जाएंगे। एफएमसी ने प्रोप्राइटरी व क्लाइंट की ट्रांजेक्शन की पोजीशन आदि के बारे में एक्सचेंजों से राय मांगी है। साथ ही एफएमसी के सामने प्रस्ताव है कि एक्सचेंजों से यह भी बताने को कहा जाएगा कि वह अपने क्लाइंट से वायदा बाजार के पोजीशन का भी खुलासा करने को कहें। एफएमसी का प्रस्ताव है कि एक्सचेंज को ऐसी सूचना संग्रहित करनी चाहिए ताकि अगर कोई गड़बड़ी हो तो इसकी पहचान करने में मदद मिले। एफएमसी ने हालांकि कहा कि इस पर अंतिम फैसला लिया जाना अभी बाकी है। वायदा बाजार की मजबूती और यहां वास्तविक हेजर्स को आकर्षित करने के लिए एफएमसी ने एक्सचेंजों से कहा है कि वह इस बात का अध्ययन करे कि क्या उन हेजर्स को मार्जिन में राहत दी जा सकती है जिन्होंने एक्सचेंज के मान्यताप्राप्त गोदामों में अपने ओपन पोजीशन के बराबर सामान जमा करा दिया है। (BS Hindi)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें