17 अगस्त 2012
हिमाचल प्रदेश में फिसल गई सेब की कीमतें
राजधानी शिमला और प्रदेश के दूसरे बाजारों में सेब की कीमतें अचानक लुढ़क गई हैं। किसानों ने कहा कि इस महीने की शुरुआत में 22 से 26 किलो सेब की पेटी 2000 रुपये से 3000 रुपये में बिक रही थी, जो शिमला के बाजार में फिलहाल घटकर 900 से 1700 रुपये प्रति पेटी रह गई है।
कोटगढ़ के एक किसान ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उनका सेब 1100 रुपये प्रति पेटी के भाव पर बिका जबकि कोटखाई के एक अन्य किसान ने कहा कि उनका उत्पाद 1500 रुपये प्रति पेटी के भाव पर बिका, जो उम्मीद से कम है।
कमीशन एजेंटों का कहना है कि कुछ थोक विक्रेताओं के चलते कीमतों में गिरावट आई है क्योंंकि सूखे से प्रभावित होने के चलते सेब की गुणवत्ता खराब हो गई है और बाजार फिलहाल सेबों से पट गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले कुछ दिनों में बाजार में तेजी आ सकती है क्योंकि ऊंचाई वाले इलाकों से बेहतर गुणवत्ता वाले सेबों की आवक शुरू होगी और थोक विक्रेताओं को यह आकर्षित करेगा।
हाल के वर्षों में शिमला व सोलन के अलावा सेब उत्पादक इलाकों में स्थित दूसरे छोटे बाजारों ने भी देश भर के थोक विक्रेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। ये बाजार राजमार्ग के किनारे हैं और इनमें नरकंडा, ठियोग, रोहरू, कुल्लू और कारापथेर आदि शामिल हैं। पड़ोसी राज्य चंडीगढ़, पंजाब और हरियाणा के बाजार भी खरीदारों को आकर्षित करते हैं। लेकिन दिल्ली की आजादपुर मंडी अभी भी देश की सबसे बड़ी मंडी है जहां देश का ज्यादातर सेब थोक में बिकता है। किसानों से सीधे सेब की खरीद करने वाला अदाणी ग्रुप राज्य में सेब उत्पादक इलाकों में तीन जगह इसका संग्रहण करता है और इस साल ग्रुप ने सेब की खरीद कीमत बढ़ाकर 70 रुपये प्रति किलोग्राम कर दी है।
हिमाचल में लगातार दूसरे साल सेब की कमजोर फसल देखने को मिली है। पिछले साल महज 1.3 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। इस साल हालांकि पैदावार में थोड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद है। साल 2010 में रिकॉर्ड 4.46 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। सेब की कटाई जुलाई में शुरू होती है और अक्टूबर मध्य तक यह जारी रहती है। देश के कुल सेब उत्पादन में हिमाचल की हिस्सेदारी एक तिहाई है जबकि बाकी पड़ोसी राज्य जम्मू और कश्मीर में होता है। (BS HIndi)
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