07 अगस्त 2012
उत्पादन में बढ़ोतरी की आस, फिर भी सेब महंगा
सूखे के चलते सेब की लाली उड़ गई है। हिमाचल प्रदेश से नया सेब आने लगा है। मौसम की बेरुखी से इसकी पैदावार हालांकि सामान्य से काफी कम होने की आशंका है। इस साल पिछली बार से कम उत्पादन की संभावना है। पिछले साल के मुकाबले सेब 30 फीसदी महंगा बिक रहा है।
हिमाचल प्रदेश सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष लेखराज चौहान कहते हैं कि इस साल मौसम ने सेब उत्पादकों के साथ आंख मिचौली खेली है। जनवरी में अच्छी बर्फ पडऩे से अच्छे उत्पादन की आस जगी, लेकिन अप्रैल में बेवक्त की बारिश ने नुकसान पहुंचाया। फिर मॉनसून सत्र के दौरान सेब उत्पादक क्षेत्रों में सूखे जैसी स्थिति बन गई है। इससे लगातार दूसरे साल सेब की पैदावार कम होगी। चौहान ने कहा कि हिमाचल में सेब की सामान्य पैदावार 3 से 3.5 करोड़ पेटी (20 किलोग्राम) है, लेकिन प्रतिकूल इस साल पैदावार 2 करोड़ पेटी से कम रहने की संभावना है। लेकिन पैदावार पिछले साल के 1.3 से 1.4 करोड़ पेटी से ज्यादा हो सकती है।
हिमाचल उत्पादक व अखिल भारतीय सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष रवींद्र चौहान ने कहा कि बीते कुछ दिनों में हुई बारिश ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सेब की फसल को बर्बाद होने से बचा लिया है, लेकिन निचले इलाकों में सूखे की वजह से पैदावार काफी कम है। बारिश की कमी से सेब का आकार छोटा है और इसकी गुणवत्ता प्रभावित हुई है। लेखराज कहते हैं कि निचले क्षेत्रों के सेब की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। अगर आगे बारिश होती रहती है, तो ऊंचाई वाले क्षेत्र के सेब की गुणवत्ता सुधर सकती है। दो साल से इसकी पैदावार लगातार घट रही है, जबकि लागत बढ़ी है। इसलिए दाम ज्यादा हैं। रवींंद्र के मुताबिक इस समय अच्छी गुणवत्ता वाला सेब 1,800 रुपये से लेकर 2,200 रुपये प्रति पेटी बिक रहा है, जो बीते साल से 30 फीसदी महंगा है। पिछले साल औसत कीमत 1,200-1,500 रुपये थी, इस साल औसत भाव 1,500 से 2,000 रुपये पेटी रह सकता है। (BS Hindi)
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