04 अगस्त 2012
चीनी-चावल पर लगेगी स्टॉक लिमिट!
आर.एस. राणा नई दिल्ल
कदम क्यों
थोक बाजार में चीनी महीने भर में 400 रुपये प्रति क्विंटल महंगी
इस दौरान चावल की कीमतों में भी 250 से 300 रुपये की तेजी
महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार चीनी और चावल पर भी स्टॉक लिमिट लगाने की तैयारी कर रही है। साथ ही स्टॉक लिमिट की अवधि भी एक साल बढ़ाई जाएगी। इस समय दलहन, तिलहनों तथा खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट लगी हुई है।
उपभोक्ता मामला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश के कई जिलों में मानसूनी वर्षा कम होने का असर खाद्य पदार्थों की कीमतों पर पड़ रहा है। चीनी, चावल, दलहन, तिलहन और खाद्य तेलों के अलावा गेहूं की कीमतों में भी महीने भर में खासी तेजी आई है। ऐसे में बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए चीनी और चावल पर भी स्टॉक लिमिट लगाने की योजना है।
उन्होंने बताया कि स्टॉक लिमिट की अवधि भी एक साल के लिए बढ़ाई जाएगी। दलहन, तिलहनों और खाद्य तेलों पर स्टॉक लिमिट की अवधि 30 सितंबर 2012 को समाप्त हो रही है, इसे बढ़ाकर 30 सितंबर, 2013 किया जाएगा।
दिल्ली थोक बाजार में चीनी की कीमतों में महीने भर में 400 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आकर भाव 3,750 से 3,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गए हैं। फुटकर बाजार में चीनी के दाम बढ़कर 39 से 40 रुपये प्रति किलो हो गए हैं।
इस दौरान चावल की कीमतों में भी 250 से 300 रुपये की तेजी आकर परमल सेला का भाव 2,750 से 2,950 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। गैर बासमती चावल का 54 लाख टन से ज्यादा का निर्यात हो चुका है, जबकि चालू पेराई सीजन में 30 लाख टन चीनी का निर्यात हुआ है।
सूखे पर न करें राजनीति : जयराम
नई दिल्ली ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि राज्यों को सूखे पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मानसून के कारण कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में सूखे के हालात हैं लेकिन ये राज्य राहत के नाम पर जो रकम मांग रहे हैं वह काफी ज्यादा है। कर्नाटक ने 11,000 करोड़, महाराष्ट्र ने 10,000 करोड़ और गुजरात ने 14,000 करोड़ रुपये की मांगी है। जयराम ने कहा कि तीनों राज्यों से अपनी-अपनी मांगों पर पुनर्विचार के लिए कहा गया है और हफ्ते भर में उनसे कागजात मांगे गए हैं। राज्यों की कई मांगें ऐसी हैं जिनका तात्कालिक संकट से कोई लेना-देना नहीं।
कम वर्षा के चलते विकास दर रहेगी सिर्फ 6% : मोंटेक
नई दिल्ली सामान्य से अत्यंत कम मानसूनी बारिश किसानों को मायूस करने के बाद अब आर्थिक विकास पर भी असर डालने जा रही है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के ताजा वक्तव्य से यही तस्वीर उभर कर सामने आ रही है। मोंटेक ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि सामान्य से कम वर्षा होने के चलते चालू वित्त वर्ष के दौरान देश की आर्थिक विकास दर घटकर तकरीबन 6 फीसदी रह जाने की संभावना है, जबकि बीते वित्त वर्ष में यह 6.5 फीसदी रही थी। (Business Bhaskar....R S Rana)
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