सरकार गेहूं के उत्पादों आटा, मैदा और सूजी का निर्यात ओपन जरनल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत खोलने की योजना बना रही है। खाद्य पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में 26 मार्च को होने वाली उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों के समूह (ईजीओएम) की बैठक में इस पर फैसला होने की संभावना है।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गेहूं के उत्पादों आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर मात्रात्मक और समय संबंधी पाबंदियां समाप्त करने की योजना है। इसके बाद गेहूं उत्पादों का निर्यात ओजीएल के तहत हो सकेगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने 6.50 लाख टन गेहूं उत्पादों के निर्यात को अनुमति दे रखी थी जिसकी अवधि 31 मार्च 2012 को समाप्त हो रही है। हालांकि 6.50 लाख टन में से जनवरी के आखिर तक केवल 1.27 लाख टन गेहूं उत्पादों का ही निर्यात हो पाया है।
उन्होंने बताया कि ओजीएल के तहत आने के बाद गेहूं उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलने की संभावना है क्योंकि इससे निर्यातकों को लंबी अवधि के निर्यात सौदे करने में सहूलियत हो सकेगी। केंद्रीय पूल में गेहूं का भारी-भरकम स्टॉक बचा हुआ है जबकि रबी सीजन में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने का अनुमान है इसीलिए गेहूं उत्पादों का निर्यात ओजीएल में करने की सिफारिश की गई है। केंद्रीय पूल में एक मार्च को गेहूं का 212.55 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है जो तय मानकों बफर के मुकाबले कई गुना है।
तय मानकों के अनुसार पहली अप्रैल को केंद्रीय पूल में 40 लाख टन गेहूं का स्टॉक होना चाहिए। मध्य प्रदेश और गुजरात में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद शुरू हो चुकी है तथा पहली अप्रैल से उत्तर भारत के राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी खरीद शुरू हो जाएगी। विपणन सीजन 2012-13 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,285 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है।
ऐसे में गेहूं की खरीद सरकार द्वारा तय लक्ष्य 318 लाख टन से भी ज्यादा होने का अनुमान है। पिछले विपणन सीजन में 281.44 लाख टन गेहूं की खरीद हुई थी। कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार रबी सीजन में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन 883.1 लाख टन होने का अनुमान है। वर्ष 2010-11 में गेहूं का उत्पादन 868.7 लाख टन का उत्पादन हुआ था। (Business Bhaskar.....R S Rana)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें